आपको जानकारी के लिए बता दें कि एलओसी पर आतंकी घुसपैठ रोकने के लिए देश के वैज्ञानिकों ने एक लेजर बेस दीवार तैयार की है। यह अदृश्य दीवार हवा़, जमीन और पानी कहीं भी बनाई जा सकती है। इस दीवार को घुसपैठिया देख नहीं सकता है, लेकिन भारतीय सेना 3 किमी दूर बने कंट्रोल रूम से घुसपैठ की लोकेशन और रियल टाइम वीडियो तक देख सकती है।

इस तकनीक को साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर, दिल्ली ने तैयार किया है। जम्मू कश्मीर में इंडियन आर्मी करीब 60 जगहों पर इसका ट्रायल कर चुकी है। इस तकनीक को बड़े पैमाने पर विकसित किया जा रहा है, ताकि इसे इंडियन आर्मी को दिया जा सके। सेना के साथ-साथ सीआरपीएफ ने भी इसकी मांग की है।

जानकारी के लिए बता दें कि लेजर बीम की दीवार बनाने के लिए एक मशीन विकसित की गई है। इस मशीन से निकलने वाली इंफ्रारेड लेजर बीम से दीवार बनती है। लेजर बीम की यह दीवार 100 मीटर से 500 मीटर तक बनाई जा सकती है। इसे वाईफाई से जोड़कर करीब 3 किमी दूर तक कंट्रोल रूम बनाया जा सकता है। 100 मीटर लेजर बीम दीवार बनाने पर डेढ़ लाख रुपए का खर्चा आता है। लेजर से बनी दीवार किसी को नहीं दिखती।

घुसपैठिया जैसे ही इस अदृश्य दीवार को पार करने की कोशिश करेगा, तुरंत कंट्रोल रूम में हूटर बज जाएगा। हूटर बजते ही कंट्रोल रूम में घुसपैठ करने की लोकेशन और वहां का रियल टाइम वीडियो भी दिखने लगेगा। इतना ही नहीं घुसपैठियों के पास मौजूद हथियार भी दिख जाएंगे। जिससे मौके पर पहुंचकर इन आतंकियों को ढेर किया जा सकेगा। इस स्मार्ट दीवार का 2026 किलोमीटर लंबी सीमा क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाएगा।

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