इंटरनेट डेस्क| भारतीय सेना ने युद्धों के दौरान दुश्मन देशों को धूल चटाते हुए ना केवल देश की शान बढ़ाई है, बल्कि प्राकृतिक आपदा से निबटने के लिए भी महत्वपूर्ण मदद मुहैया कराई है।

देश की ताकतवर सेना के पास संसाधनों की कमी नहीं है, ऐसे में जरूरत पड़ने पर वह अपने मजबूत संकल्पों आम जनता की जरूरतों को भी पूरा करती रही है।

इसी क्रम में भारतीय सेना ने जनता की भलाई के लिए दुनिया के सबसे उंचे बैली पुल से लेकर कई छोटे-मोटे पुलों का भी निर्माण कार्य किया है। करीब दो दशक पहले भारतीय सेना ने लद्दाख में दुनिया का सबसे उंचा बैली ब्रिज बनाकर सबको हैरान कर दिया था।

जम्मू काश्मीर के सटे इलाके लद्दाख में समुद्र से 5602 मीटर यानि 18,379 फिट की ऊंचाई पर बने दुनिया के सबसे ऊँचे बेली ब्रिडज को भारतीय सेना ने अगस्त 1982 में बनाया था। लद्दाख घाटी में बना यह बेली ब्रिडज द्रास और सुरू नदी पर बना है। इस बैली ब्रिज की लंबाई 30 मीटर यानि करीब 98 फीट है। इस बैली ब्रिज से ट्रक और सेना के टैंक आसानी से आज जा सकते हैं।

इस बैली पुल को सेना के इंजीनियरों ने युद्ध के हिसाब से बनाया है, यह एक प्री फैब्रिकेटेड पुल है। बैली पुल तकनीक को ब्रिटिश इंजीनियर सर डोनाल्ड बेली ने द्वितीय विश्व के समय इजाद किया था, इसलिए इस ब्रिडज का नाम बैली पुल रखा गया है।

इस बैली ब्रिडज का एक बड़ा हिस्सा मॉड्यूलर डिजाइन पर आधारित है। मतलब साफ है, इस बैली ब्रिज पर लगे भारी मैटेरियल्स को बहुत कम मदद में एकत्र किया जा सकता है। जबकि इससे पहले के सैन्य पुलों को उपर उठाने तथा कम करने के लिए क्रेन की मदद लेनी पड़ती है।

देश में बने बेली पुल व्यापक स्तर पर परियोजनाओं के निर्माण के वक्त काम आते हैं। इन बैली ब्रिजों का इस्तेमाल वाहन तथा पैदल यातायात को एक अस्थायी क्रॉसिंग उपलब्ध कराना है।

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