इंटरनेट डेस्क। बात 19 दिसंबर 1961 की है, जब भारतीय सेना ने गोवा और दमन, दीव को 450 साल के पुर्तगाली शासन से मुक्ति दिलवाई थी। भारतीय सेना के तीनों अंगों मिलिट्री, वायु सेना और नौसेना ने एक साथ आक्रमण किया था। मात्र 36 घंटे में ही पुर्तगाली सेना ने इंडियन आर्मी के सामने सरेंडर कर दिया।

गोवा मुगलकाल से ही डच, फ्रांसीसियों, अंग्रेजों तथा पुर्तगालियों के लिए कोराबार का एक बड़ा केंद्र बना रहा। 1947 में भारत के आजाद होते ही करीब 3000 से अधिक सत्याग्रहियों ने 1955 में गोवा की मुक्ति के लिए भी सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया।

इन सत्याग्रहियों के आंदोलन को पुर्तगाली सेना कुचलने पर आमादा हो गई। इसके बाद भारत ने पुर्तगाल से अपने सभी राजनयिक संबंध खत्म करते हुए सैन्य कार्रवाई करने पर मजबूर हो गई।

जानकारी के लिए बता दें कि 18 दिंसबर 1961 को इंडियन आर्मी ने पुर्तगाली सेना के खिलाफ ऑपरेशन विजय नामक कार्रवाई शुरू कर दी। पुर्तगाली सेना की ओर से किए गए जबरदस्त विरोध के बावजूद भारत की सेनाओं ने मात्र 36 घंटे में गोवा को अपने कब्जे में ले लिया। आॅपरेशन विजय नामक इस कार्रवाई में भारतीय नौसेना ने गोवा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

पुस्तक गोवा मुक्ति के लेखक केपी सिंह के अनुसार, पुर्तगाल के हाथों से गोवा निकलते ही लिस्बन में शोक व्याप्त हो गए था। वहां के लोगों ने क्रिसमस पर्व बहुत दुखी मन से सेलिब्रेट किया था।

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