भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे को सौंपी परमाणु केन्द्रों की सूची, जानिए क्या है मंशा?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि 31 जनवरी 1988 को भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों और केन्द्रों की सूची को लेकर एक समझौता हुआ था। इस अनुमोदन के बाद समझौते को 27 जनवरी, 1991 से लागू माना गया। इन दोनों देशों ने एक जनवरी, 1992 को परमाणु प्रतिष्ठानों और केन्द्रों की सूची पहली बार एक दूसरे को सौंपी थी। तभी से यह सिलसिला जारी है। बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने लगातार 28वें साल अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और केन्द्रों की सूची एक दूसरे को सौंपी है।
भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने विदेश मंत्रालय के जरिए इस आशय का ऐलान किया है। समझौते में यह प्रावधान किया गया है कि दोनों देश एक दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर गलती से हमला नहीं करें, इसलिए दोनों देशों को पता होना चाहिए कि उनके परमाणु केन्द्र कहां-कहां हैं। इसी उद्देश्य से भारत और पाकिस्तान प्रत्येक वर्ष अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची एक दूसरे को सौंपते हैं।
दरअसल इन दोनों देशों के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों के मद्देनजर परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह भरोसा हो जाएगा कि भारत औऱ पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का असर परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के तौर पर नहीं पड़ेगा।
लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान के नेता अक्सर भारत पर परमाणु हमले की धमकी देते रहते हैं। जबकि भारत भी यह चेतावनी देता है कि यदि परमाणु हमला हुआ तो पाकिस्तान का खात्मा कर देंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास इस समय 200 से अधिक परमाणु बम हैं, जबकि भारत का परमाणु बम भंडार पाकिस्तान के मुकाबले छोटा है।
भारत और पाकिस्तान ने परमाणु हमले के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात कर रखी हैं तथा लड़ाकू विमानों को भी इसके लिए तैयार किया है। अभी हाल में भारत ने यह ऐलान किया है कि वह समुद्र के भीतर से दुश्मन देश पर परमाणु हमला करने में सक्षम है। भारत ने कहा है कि उसने आकाश, धरती और समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता हासिल कर ली है।