तीन महीने पहले चीन के वुहान शहर से हुआ कोरोना का कहर देखते ही देखते दुनिया के लगभग सभी देशों तक पहुंच गया है। कोरोना के इसी आसन्न खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार राष्ट्र के नाम अपने संदेश में देशवासियों से बचाव के लिए संयम का संकल्प लेने का आव्हान किया और घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील की है। लेकिन कभी आपने सोचा है इस महामारी काल में अगर मोदी सरकार की जगह अगर कांग्रेस सर्कार होती तो क्या होता।

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आज अगर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होते और कोरोनावायरस से लड़ाई का नेतृत्व कर रहे होते तो शायद यह सब मुमकिन न होता, क्योकि मनमोहन सिंह की मद्धिम आवाज़, विनम्र चाल-ढाल और भारत भर में अपनी राजनीतिक पूंजी या प्रशंसकों की जमात का अभाव इस महामारी से जंग में उनके लिए भारी अड़ंगे पैदा करत,. जरा कल्पना कीजिए, रात आठ बजे वे देश के नाम अपने संदेश में लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील कर रहे हैं, मगर उनके अपने मंत्री ही एक आवाज़ में नहीं बोल रहे हैं।

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आमतौर पर जब भी कोई प्राकृतिक संकट आता है तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक ही सीमित रहता है लेकिन इस बार का संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर की पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को अब अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि कोरोना के आसन्न खतरे को हल्के में लेना देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है, और जिस तरह से सरकार देश के हिट के लिए लॉकडाउन और नियन बना रहे है उसका पालन करना चाहिए, साथ ही गलत अफवाहें पर ध्यान ना दे और एक जुट होकर साथ बढ़े।

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