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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट 29 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगा। लेकिन इससे पहले ही विश्व हिंदू परिषद से जुड़े देश के प्रमुख साधु-संतों ने राम मंदिर निर्माण को लेकर अपने तेवर कड़े कर लिए हैं।

बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली में एक बैठक के दौरान विश्व हिंदू परिषद के करीब 40 साधु-संतों ने राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार कोर्ट में लंबित होने के बाद भी एससी-एसटी एक्ट पर संसद में कानून बना सकती है, तीन तलाक बिल पर अध्यादेश ला सकती है, फिर राम मंदिर निर्माण के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकती है। शुक्रवार को हुई अहम बैठक में साधु-संतों ने निर्णय लिया कि वह राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने के लिए दबाव बनाएंगे।

आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद ने बैठक के दौरान कहा कि जनता हमसे यही पूछती है कि क्या सोच कर आप लोगों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन मंदिर तो बना नहीं। महामंडलेश्वर डॉ. रामेश्वरदास वैष्णव जी महाराज ने कहा कि तीन तलाक की तरह मोदी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए भी अध्यादेश लाए।

संतों ने बैठक के दौरान कहा कि 1989 में पालनपुर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया था कि केंद्र में जब भी उनकी सरकार बनेगी तब राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। लेकिन दो बार बीजेपी की सशक्त सरकार बनने के बाद भी अभी तक राम मंदिर का मामला उसी तरह से सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ा हुआ है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण पर कानून नहीं बनाती है, उस स्थिति में हिंदू समाज एक बार फिर से मंदिर निर्माण के लिए कारसेवकों के जरिए बड़ा आंदोलन करेगा।

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