पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 95वीं जयंती है। देश के पहले ऐसे नेता जिन्होंने देश की एक नई तस्वीर बना दी जिन्होंने अपने सियासी सफर में कई बड़े और अहम फैसले लिए। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पांच दशक के सियासी सफर में कई उतार- चढ़ाव देखे थे। इसी साल 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया था, लेकिन अपनी राजनीतिक जिंदगी में उन्होंने बीजेपी की नींव रखने से लेकर शिखर तक पहुंचाने का सफर शायद ही हम भूले। वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में रहते हुए नये भारत की तस्वीर के रूप में पेश कर दी थी। करती है। हालांकि, उनके कुछ निर्णय बाद में विवादों में भी रहे है।

सर्व शिक्षा अभियान

अटल ने अपने कार्यकाल में सामाजिक अभियानों में अपना झुकाव रखा। वे समाज के गरीब तबके के लिए सर्वे शिक्षा अभियान की मुहीम चलाई। इसके दुवारा सरकार ने 6 साल के बच्चो से लेकर 14 साल के उम्र तक के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक िक्षा देने का प्रावधान किया गया। ये इसी योजना का परिणाम था कि 2001 में चलाई गयी इस योजना के जरिए छोटे - छोटे गाँवो में स्कूल खोले गए।

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

अटल ने प्रधानमंत्री एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवेज के नेटवर्क से जोड़ने में मदद मिली। आज देश भर में एक्सप्रेस-वे बनाए जाए रहे हैं लेकिन अटल ने तभी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने देश के दूर-दराज इलाकों में बसे गांवों को सड़क से जोड़ने का काम शुरू कर दिया था।

कंधार में आतंकियों को छोड़ना

अटल के कार्यकाल में आतंकियों ने 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को हाईजैक कर लिया था। इस प्लेन में 176 यात्री और क्रू मेंबर्स थे। आतंकियों ने शुरू में भारतीय जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को पूरी करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद आखरी समझौता तीन आतंकियों को छोड़ने पर बनाया गया।

मुशर्रफ को भारत बुलाना

अटल ने पाकिस्तान के रिश्ते को पटरी पर लाने के लिए हरसंभव कोशिश की। उन्होंने दिल्ली-लाहौर के बीच 1999 में बस सेवा शुरू करवाई बस इतना ही नहीं करगिल में आतंकियों की घुसपैठ के बाद जुलाई 2001 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा में शिखर बैठक करने का ये कड़ा फैसला अटल के लिए काफी मुश्किल भरा कदम था। हालांकि इसके परिणाम से दोनों देशों के रिश्तों में और भी कड़वाहट गयी थी।

पोखरण में परमाणु परीक्षण

कड़े और ऐतिहासिक फैसलों में से एक है पोखरण परमाणु परीक्षण सबसे अहम रहा है। अटल ने 1998 में पोखरण में 2 दिन के अंतराल में 5 परमाणु परीक्षण करके सारी दुनिया को अचंभित कर दिया था। हलाकि इसके बाद दुनियाभर के तमाम देश भारत के विरोध में खड़े हो गए थे। विरोध के इस पक्ष में अमेरिका सहित कई देशों में आर्थिक पाबंदी लगा दी थी। इसके साथ ही अपने ही देश में विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार के इस फैसले पर जम कर बरसा था। लेकिन आज भारत दुनिया के सामने एक मजबूत और परमाणु संपन्न देशों में से एक है।

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