कैसे होता है राज्यसभा के सांसदों का चुनाव, जान लें पूरी प्रक्रिया
राज्यसभा की 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होगा। रजिस्ट्रेशन का आज आखिरी दिन है। कांग्रेस और बीजेपी सहित सभी पार्टियों ने राज्यसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अपनी जी जान लगा दी है। मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बाद राज्यसभा का ये चुनाव काफी अहम होगा। जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा के लिए 17 राज्यों की जिन 55 सीटों पर चुनाव होने हैं जबकि 4 सांसद पहले भी रिजाइन कर चुके हैं।
आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि चुनावी प्रक्रिया किस तरह होती है।
राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा चुना जाता है। ये सांसद अर्थशास्त्र, खेल, साहित्य, कला, सामाजिक सेवा आदि की दुनिया से प्रकाशमान हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है, जो राष्ट्रपति की सहमति के लिए बिल भेजे जाने से पहले अंतिम पड़ाव होता है।
राज्यसभा क्या है?
यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के बाद राज्यसभा या संसद के ऊपरी सदन की रूपरेखा तैयार की जाती है। वर्तमान में राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 245 है। संवैधानिक सीमा के अनुसार, उच्च सदन की शक्ति 250 से अधिक नहीं हो सकती है। इस तरह राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 233 ही हो सकी जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। राज्यसभा के सभापति भारत के उपराष्ट्रपति होते हैं। हर राज्यसभा सांसद का कार्यकाल छह साल का होता है और हर दो साल में एक तिहाई सीटों पर चुनाव होते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 154 के अनुसार, एक आकस्मिक पद को भरने के लिए चुना गया सदस्य अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल की शेष अवधि के लिए काम करेगा।
कैसे होता है मतदान
लोकसभा सदस्यों को मतदाताओं द्वारा सीधे चुना जाता है जबकि राज्यसभा सदस्यों को लोगों द्वारा परोक्ष रूप से निर्वाचित किया जाता है, अर्थात विधायकों द्वारा। एक राज्य कितने राज्यसभा सदस्यों को भेज सकता है यह उसकी जनसंख्या पर निर्भर करता है। इसलिए, राज्यों के विलय के रूप में निर्वाचित सीटों की संख्या में भी परिवर्तन होता है, द्विभाजित या नए बनाए जाते हैं।
राज्यसभा में चुने जाने के लिए योग्यता
01- भारतीय नागरिक हो. 02- उम्र न्यूनतम 30 साल होना आनिवार्य
-नामांकन फाइल करने के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है.-सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा निर्धारित कानून से होता है।
- राज्य की कुल विधानसभा सीटों को राज्यसभा की सदस्य संख्या में एक जोड़ कर उसे भाग दिया जाता है फिर उसमें 1 जोड़ दिया जाता है।
चुनाव जीतने के लिए कितने मतों की जरूरत
उम्मीदवार को राज्यसभा में शामिल होने के लिए राज्य की कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर उसका भाग देना होता है। उदाहरण के लिए 26 मार्च को जिन 55 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है उनमें महाराष्ट्र की 7 सीटें हैं। अब इसमें एक जोड़ने पर यह 8 हो जाएगा। 8 को महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या (288) से भाग दे दीजिए फिर इसका जो भी उत्तर आएगा उसमे एक जोड़ दिया जाएगा।
288%8=36, अब इसमें 1 जोड़ने पर 37 आएगा। जिसका अर्थ है कि उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। वोट देने वाले विधायक को यह भी बताना होता है कि उसकी पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार कौन है। अगर किसी कैंडिडेट को प्राथमिकता यानी प्रायोरिटी वाली जीत मिल जाती है तो ठीक है वरना इसके लिए चुनाव होता है।
मतदान प्रकिया
राज्यसभा में सदस्य का चयन निर्वाचित विधायक मतदान के जरिए करते हैं। राज्यसभा के लिए मतदान गुप्त मतदान नहीं होते बल्कि ओपन बैलेट होते हैं।