फिरोज खान और इंदिरा गांधी ने प्रेम विवाह किया था। फिरोज खान आजादी की लड़ाई में रहे फिर पत्रकारिता में शुरुआत की और उत्तर भारत में आकर बस गए। जब वह लंदन में था, तभी उनकी मुलाकात इंदिरा गांधी से हुई और दोनों ने एक मस्जिद में निकाह किया। इंदिरा गांधी का मुस्लिम नाम “मैमुना बेगम” रखा गया।

लेकिन जब नेहरू को ये बात पता चली तो उन्हें लगा कि इसका असर उनके राजनैतिक जीवन पर पड़ सकता है। उस समय नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। इसलिए उन्होंने कहा कि उनका दामाद मुस्लिम नहीं बल्कि पारसी है और उसे गांधी सरनेम दे दिया।

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ये भी कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने इंदिरा को अपना सरनेम गांधी दिया था और इसी के बाद फिरोज खान फिरोज गांधी बन गए। 1942 में राजीव के जन्म के बाद ही दोनों पति-पत्नी अलग हो गए थे। क्योकिं इन दोनों के बीच के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे।

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जब संजय गांधी का जन्म हुआ तब इंदिरा गांधी फिरोज गांधी से अलग हो चुकी थी और कहा जाता है कि वे मोहम्मद यूनुस के बेटे थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद यूनुस ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि “संजय गांधी का मुसलमान ढंग से खतना किया गया था।”

फिरोज खान की कब्र भी इलाहबाद में मौजूद है और अगर वे पारसी होते तो उनकी कब्र नहीं बनाई जाती। इसलिए साफ है कि फिरोज खान मुसलमान थे लेकिन उन्हें गांधी सरनेम अपना लिया।

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