इंडियन एयरफोर्स की एयर स्ट्राइक के बाद इन​ दिनों बालाकोट में सुर्खियों में बना हुआ है। बता दें कि सर्जिकल स्ट्राइक2 के दौरान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों का निशाना बने बालाकोट का ऐतिहासिक महत्व भी है। बता दें कि बालाकोट मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद का ठिकाना तो रहा है। इससे 160 साल पहले ही बालाकोट कुछ ऐसे ही तत्वों का ठिकाना रहा है।

बता दें कि इन आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह की फौज ने साल 1831 में बालाकोट पर हमला करके जिहादियों का सफाया कर दिया था। महाराजा रणजीत सिंह की फौज ने वर्ष 1831 में सैयद अहमद शाह बरेलवी को मौत के घाट उतारकर पेशावर पर कब्जा किया था। मौजूदा वक्त के हिसाब से उन दिनों सैयद अहमद शाह बरेलवी ने बालाकोट से ही खुद को इमाम घोषित कर पहली बार जिहाद शुरू की थी।

सैयद अहमद शाह बरेलवी और उसके अनुयायी 1821 से 1831 तक बालाकोट में सक्रिय रहे थे। पाकिस्तानी लेखिका आयशा जलाल की किताब पार्टिजंस ऑफ अल्लाह में इस बात का ​जिक्र मिलता है। सैयद अहमद शाह बरेलवी भारतीय उप महाद्वीप में इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता था। इसके लिए उसने हजारों जिहादियों को महाराजा रणजीत सिंह की फौज के खिलाफ एकत्र किया था।

सैयद अहमद शाह बरेलवी महाराजा रणजीत​ सिंह के पुत्र शेर की अगुवाई में मारा गया। इसके बाद महाराजा ने पेशावर को अपने राज्य में मिला लिया था। गौरतलब है कि जिस तरह से 160 साल पहले अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के खिलाफ सैयद अहमद शाह बरेलवी को शह दी थी। ठीक उसी प्रकार आज की तारीख में पाकिस्तान आतंकियों को भारत के खिलाफ शह दे रहा है।

Related News