आपको जानकारी के लिए बता दें कि साल 1965 और 1971 में इंडियन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त देकर पूरी दुनिया में अपनी ताकत लोहा मनवाया। इस स्टोरी में आज हम आपको एक ऐसे महावीर चक्र विजेता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने 1965 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। जी हां, उस वीर सपूत का नाम है ले. जनरल हनूत सिंह। सेना की कमान संभालते हुए हनूत सिंह ने पाकिस्तान के 60 टैंक नष्ट करने में सफलता हासिल की थी।

इतना ही नहीं पाकिस्तान के विरूद्ध हुए 1971 के युद्ध में अपनी सैन्य टुकड़ी की अगुवाई करते हुए पाक सैनिकों को धूल चटा दी थी। ले. जनरल सिंह हनूत सिंह की 47वीं इन्फेंट्री ब्रिगेड को शकरगढ़ के बसंतर नदी के पास तैनात किया गया था।

इस नदी में पाकिस्तान ने लैंड माइंस बिछा रखी थी। बावजूद इसके उनकी सैन्य टुकड़ी ने सफलतापूर्वक नदी पार कर दुश्मन के कई टैंकों को तबाह कर दिया था। युद्ध के बाद हनूत सिंह को महावीर चक्र से नवाजा गया था। ले. जनरल सिंह के सम्मान में रेजिमेंट पूना हॉर्स ने एक युद्धक टैंक उनके पैतृक गांव जसोल भेजा है।

भारत के पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने अपनी किताब लीडरशिप इन द इंडियन आर्मी: बायोग्राफी ऑफ ट्वेल्व सोल्जर्स में हनूत सिंह को शामिल किया है। मतलब साफ है, भारत के सर्वश्रेष्ठ 12 सैन्य कमांडरों मे से एक थे हनूत सिंह।

परम विशि​ष्ट सेवा मैडल तथा महावीर चक्र विजेता हनूत सिंह 31 जुलाई 1991 को सेवानिवृत्त हो गए। सेना से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने अपना जीवन एक आध्यात्मिक संत के रूप देहरादून में बिताया था। 11 अप्रैल 2015 को देहरादून के बाल शिवयोगी आश्रम में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली।

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