दोस्तों, आपको बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल का बयान चर्चा का केंद्र बिंदू बना हुआ है। उन्होंने बयान दिया है कि गुजरात सरकार अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती रखने पर विचार कर रही है। इस बयान में मुस्लिम विरोधी झलक स्पष्ट तरीके से दिखती है। इस बात की सटीक जानकारी नहीं है कि अहमदाबाद से पहले इस शहर का नाम कर्णावती हुआ करता था।

बता दें कि सन 1411 में अहमद शाह ने इस शहर का निर्माण किया था। इसकी चारदीवारी से बाहर एक छोटा सा शहर हुआ करता था। दरअसल हिंदू-मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा में मुख्य तत्व धार्मिक स्मारकों का विध्वंस ही रहा है। इनमें हत्या से लेकर व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया जाता रहा है।

साल 1969 में हुए गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित जस्टिस जगनमोहन रेड्डी आयोग ने कहा था कि दंगों में क़ब्रिस्तानों, मस्जिदों, दरगाहों समेत मुसलमानों के करीब 100 धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया था।

1980, 1992 और 2002 में हुए दंगों के दौरान भी यही कार्रवाइयां शीर्ष पर रही। इस दौरान मुसलमानों से जुड़े लगभग 500 से अधिक धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया और उन्हें नष्ट किया गया।

साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस अहम फैसले को पलट दिया जिसके तहत नष्ट की गई धार्मिक संपत्तियों को गुजरात सरकार की ओर से केवल 50 हजार रूपए की सहायता राशि दी जानी थी।

गौरतलब है कि 2002 में हुए दंगे में मुहम्मद वली के मक़बरे को नष्ट करने का भी ज़िक्र किया गया था। इस मकबरे को बनवाने की जगह अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने रात ही रात में इस मक़बरे के ऊपर पक्की सड़क बना दी। जबकि पुलिस कमिश्नर का कार्यालय इस मकबरे से बहुत दूर नहीं था। बता दें कि उर्दू शायरी के बड़े नाम मुहम्मद वली को वली गुजराती के नाम से जाना जाता है।

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