दोस्तों, आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी सियासी रणनीति बनाने में तेजी से जुट गई हैं। सोचने वाली बात यह है कि विपक्ष के कई क्षत्रप अभी भी राहुल गांधी को अपना नेता स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। इसका ताजा उदाहरण है बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस पार्टी से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश यहां तक कि राजस्थान में भी गठबंधन नहीं किया।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी पहिए को राकने के लिए 9 क्षत्रपों ने गठबंधन करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं ये पार्टियां कांग्रेस तथा भाजपा से अलग राज्य की जनता को एक नया विकल्प देना चाहती हैं। कांग्रेस को दरकिनार करते हुए जिन 9 क्षत्रपों ने गठबंधन किया है, उनके नाम इस प्रकार हैं- समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, राष्ट्रीय समानता दल, प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल तथा बहुजन संघर्ष दल।

बताया जा रहा है कि इन 9 राजनीतिक पार्टियों ने कांग्रेस को अपने मोर्चे से बिल्कुल अलग ही रखा है। यह मोर्चा 30 सितंबर को चुनावी रणनीति बनाने के लिए एक बैठक करने जा रहा है। दोस्तों, आपको बता दें कि 30 सितंबर को होने वाली बैठक में 9 क्षत्रप मिलकर यह तय करेंगे कि सत्ताधारी बीजेपी को किस प्रकार सत्ता से बेदखल किया जाए। इतना ही नहीं आपस में तालमेल बिठाने तथा सीटों के बंटवारे पर कवायद तेज की जाएगी।

इन 9 क्षत्रपों के बीच बनने वाले मोर्चे से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में बसपा ने अजीत जोगी से गठबंधन कर लिया है, यहां तक कि मध्य प्रदेश में भी करीब 22 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बावजूद इसके प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने यह बयान दिया है कि मध्यप्रदेश में अभी सपा और बसपा के साथ गठबंधन हो सकता है, इसके लिए कांग्रेस बातचीत कर रही है।

गौरतलब है कि कांग्रेस अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी भाजपा को हराने के लिए गैर बीजेपी वोटों के विखराव को रोकना चाहती है, लेकिन गठबंधन के नजरिए से कांग्रेस को फायदे की जगह नुकसान होता ज्यादा दिख रहा है।

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