ईवीएम हैकिंग का जिन्न और विपक्ष, सबसे पहले भाजपा ने ही उठाया था यह राजनीतिक मुद्दा !
सैयद शुजा के दावे से भारत के सियासी गलियारे में हड़कंप मचा हुआ है। सैयद शुजा ने दावा किया है कि ईवीएम को आसानी से हैक किया जा सकता है। शुजा के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2014 में ईवीएम के जरिए जबरदस्त धांधली हुई। मजेदार बात तो यह है कि सैयद शुजा ने भाजपा के अलावा सपा, बसपा, कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी तक को ईवीएम के जरिए धांधली में शामिल होने का आरोप लगाया है।
जानकारी के लिए बता दें कि सैयद शुजा ने स्काइप के जरिए लंदन में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्होंने कहा कि उनकी टीम के कुछ सदस्य मारे गए, जिससे वह भारत छोड़कर भाग गए। उन्होंने बताया कि चूंकि भारत में उनकी जान को खतरा है, इसलिए स्काइप के जरिए स्क्रीन पर आते वक्त उनका चेहरा ढक हुआ था। शुजा ने दावा किया है कि टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल पाने में भाजपा की मदद की थी, ताकि आसानी से ईवीएम को हैक किया जा सके। हांलाकि इन दावों के समर्थन में शुजा के पास कोई सबूत नहीं है। सबसे बड़ी बात कि साल 2014 में रिलायंस जियो का कोई अस्तित्व नहीं था। यह टेलिकॉम कंपनी सितंबर 2016 में शुरू हुई थी।
शुजा ने कहा कि उन्होंने साल 2009 से लेकर साल 2014 तक ईसीआईएल में काम किया। उन्होंने कहा कि वह उस टीम के हिस्सा थे, जिन ईवीएम मशीनों को लोकसभा चुनाव 2014 के लिए डिजाइन किया गया था। हांलाकि भारतीय निर्वाचन आयोग के टेक्निकल एक्सपर्ट डॉ. रजत मूना ने शुजा के इन दावों को पहले ही खारिज कर दिया है।
ईवीएम हैकिंग को मुद्दा बनाने जा रहा है विपक्ष
महागठबंधन को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया है कि वह सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव आयोग के सामने ईवीएम का मुद्दा उठाएंगी। बसपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सतीश मिश्रा के मुताबिक, इस बार जनता बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है, इसलिए हमें सचेत रहना होगा ताकि वह पिछले चुनाव की तरह इस बार भी ईवीएम से गड़बड़ी ना करें। सभी दलों को चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर बात करनी होगी।
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष, मायावती का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2014 के साथ-साथ यूपी, गुजरात और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी इवीएम के जरिए जबरदस्त धांधली की गई थी। चूंकि ईवीएम सत्यापन की ऐसी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है, इसलिए लोकसभा चुनाव 2019 ईवीएम के जरिए कराया जाए।
वहीं नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष, फारुक अब्दुल्ला ने भी लोकसभा चुनाव 2019 बैलेट पेपर से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ईवीएम से हम डरे हुए हैं। अगर धोखाधड़ी से चुनाव जीते गए तो हम इस जीत को कत्तई स्वीकार नहीं करेंगे।
कांग्रेस से पहले भाजपा भी कर चुकी है ईवीएम का विरोध
आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी ईवीएम का पुरजोर समर्थन करती दिख रही है, लेकिन क्या आपको पता है भाजपा ईवीएम का विरोध करने वाली सबसे पहली राजनीतिक पार्टी थी। जब साल 2009 में भाजपा ने चुनावी हार का सामना किया था, तब पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे। भाजपा ने देशी और विदेशी विशेषज्ञों की सहायता से ईवीएम मशीन के साथ होने वाले छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को लेकर पूरे देश में सघन अभियान चलाया था।
2010 में भाजपा के तत्कालीन प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन नामक एक किताब भी लिखी थी। इस किताब की प्रस्तावना भी लाल कृष्ण आडवाणी ने ही लिखी थी।
इस किताब पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्राबाबू नायडू का संदेश भी छपा हुआ है। इस पुस्तक के जरिए ईवीएम सिस्टम के एक्सपर्ट और स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डेविड डिल ने बताया है कि ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित तो बिल्कुल भी नहीं है।