इस मशहूर आर्मी कॉलेज में हर साल युद्धकला सीखने आते हैं विदेशी सैन्य अधिकारी
इंटरनेट डेस्क। साल 1971 में मध्यप्रदेश के महू में इंडियन आर्मी ने एक कॉलेज की स्थापना की। यह कॉलेज 1988 तक बतौर इन्फैन्ट्री स्कूल बना रहा। लेकिन साल 2003 में महू स्थित इस आर्मी स्कूल का नाम बदलकर आर्मी वार कॉलेज कर दिया गया। इस कॉलेज के मौजूदा कमांडेट लेफ्टिनेंट जनरल नरसिम्हन को परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल तथा सेवा मैडल से नवाजा जा चुका है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि इस वार कालेज में इंडियन आर्मी तथा अर्धसैनिक बल के 1,300 अधिकारियों को हर साल युद्धकला की ट्रेनिंग दी जाती है। करीब ढाई किमी. में फैले इस आर्मी वार कॉलेज में करीब 100 विदेशी सैन्य अधिकारी भी ट्रेनिंग के लिए आते हैं।
गौरतलब है कि महू के इस आर्मी वार कॉलेज में भारतीय सेना तथा अर्धसैनिक बलों के सैन्य अधिकारियों को आधुनिक तकनीकी से अवगत कराते हुए सैन्यकला के अलावा विभिन्न आपरेशंस की भी ट्रेनिंग दी जाती है। एडब्ल्यूसी की ट्रेनिंग के दौरान इन सैन्य अधिकारियों को हाई कमांड फोर्स, डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स की शिक्षा दी जाती है। यह कॉलेज इंदौर विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
साल 2005 से इस आर्मी कॉलेज में नौकायन की ट्रेनिंग भी दी जाने लगी है। तब से लेकर आज तक यहां प्रत्येक वर्ष नाविक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस रोमांचक मुकाबले को जीतने के लिए सेना के अधिकारी जमकर पसीना बहाते हैं।