पॉलिटिकल डेस्क। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान सहित 5 राज्यों के चुनावों के बीच किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था। वही नतीजों ने बीजेपी को तीन राज्यों में सत्ता से बेदखल करके कांग्रेस को सत्ता के सिंहासन पर कर्ज माफी की आस में बिठाया है। जहां मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही किसानों की कर्ज माफी की दिशा में अपने पत्ते खोले है। वही राजस्थान के किसान भी कर्ज माफ़ी का इंतजार कर रहे हैं।

राजस्थान में मुख्यमंत्री की आपसी जंग के बाद गहलोत बतौर मुख्यमंत्री और सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री बने है। मुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद सचिवालय में मुख्य सचिव से बैठक करके कर्ज माफी का रास्ता तलाशना चाहते है। लेकिन सरकार का मौजूदा बजट इसके लिए पर्याप्त नही है। वही राजस्थान सरकार के उधार लेने की सीमा की भी एक बाध्यता है, क्योंकि मौजूदा बजट के हिसाब से राजस्थान सरकार 28 हजार करोड का कर्ज उधार ले सकती है।

राजस्थान की नवनिर्वाचित सरकार की राह में अडचन यह है कि पूर्ववर्ती राजे सरकार ने 24,557 करोड पहले ही उधार ले चुकी है। गौरतलब है कि राजस्थान में 58 लाख 85 हजार 961 किसानों पर कर्ज है, जिनमें से 47 लाख किसानों पर अल्पकालीन कर्ज है। जिसमें 77 हजार 668 करोड का भार है। अभी तक राहुल गांधी के वादे के मुताबिक यह तय करना बाकी है कि सभी किसानों का कर्ज माफ़ करेगे या केवल अल्पकालीन कर्ज माफ करेगें।

खैर, कांग्रेस का किसानों की कर्ज माफी का वादा पूरा हुआ तो अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बडे नुकसान का सौदा है । वही राजनैतिक जानकारों के मुताबिक अगर कांग्रेस यह वादा पूरा करने में विफल रही तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए आगामी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।

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