सन् 1857 से पहले ही ब्रिटिश सेना में भारतीय सैनिकों ने कर दिया था विद्रोह...
इंटरनेट डेस्क। सन् 1857 में भारत के विभिन्न हिस्सों में अंग्रेजों के खिलाफ एक विद्रोह शुरू हुआ था। हालांकि ब्रिटिश सेना द्वारा इस विद्रोह को कम किया गया था, लेकिन इसे ब्रिटिश हुकूमत वाले भारत में पहली बड़े विद्रोह के रूप में जाना जाता है। हालांकि, ज्यादा लोगों को यह नहीं पता है कि 1857 के विद्रोह से लगभग 50 वर्ष पहले वेल्लोर ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ छोटा लेकिन हिंसक विद्रोह हुआ था।
वेल्लोर विद्रोह के रूप में ज्ञात यह क्रांति 10 जुलाई 1806 के मध्यरात्रि को शुरू हुई थी। हालाँकि यह विद्रोह केवल एक दिन तक चला था लेकिन इस छोटे से विद्रोह में भी लगभग 400 लोगों की जान गई थी। आखिर इस विद्रोह का कारण क्या था ?
भारत के विभिन्न हिस्सों पर विजय प्राप्त करने के बाद अंग्रेजों ने देश के कई नियमों को बदल दिया था जिनके साथ भारतीय शांति के साथ रह रहे थे।इसलिए, वेल्लोर विद्रोह उस क्रोध का परिणाम था जो धीरे-धीरे अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नियमों के खिलाफ शुरू हुआ था।
नवंबर 1805 में, मद्रास सेना के कमांडर-इन-चीफ जनरल सर जॉन क्रैडॉक ने सेना की वर्दी में बदलाव का आदेश दिया था जो हिंदू और मुस्लिम सैनिकों को भावनात्मक चोट का कारण बना था। जहां कुछ सैनिकों ने इसके खिलाफ विरोध किया, तो उन्हें 90 कोड़े लगाकर दंडित किया गया और सेना से बाहर निकाल दिया गया। यह घटना 1806 के विद्रोह का सबसे बड़ा कारण बनी।
जानकारी के मुताबिक वेल्लोर किले के सेना ने ब्रिटिश पैदल सेना की चार कंपनियों और मद्रास पैदल सेना के तीन बटालियनों को रखा था। 10 जुलाई 1806 को इस किले पर हमला करने की योजना बनाई गई थी। आधी रात होने के कुछ घंटों के बाद लगभग 500 भारतीय सैनिक वेल्लोर किले में घुस गए। वहां उन्होंने ब्रिटिश पैदल सेना से 115 लोगों की हत्या कर दी जो अपने बैरकों में सो रहे थे। हमले में मारे गए लोगों में से किले के कमांडर कर्नल सेंट जॉन फैनकोर्ट, कर्नल मी केरास और मेजर आर्मस्ट्रांग शामिल थे।
हालाँकि भारतीय सेना का यह हमला कुछ समय तक ही चला था क्योंकि मेजर कूप्स, जो कई अन्य ब्रिटिश अधिकारियों की तरह इस हमले से बच निकले थे, ने वेल्लोर किले से सिर्फ 16 मील दूर आर्कोट में सेना से संपर्क किया। इसके बाद वे सेना के साथ वेल्लोर किले में वापिस आये और लगभग 350 भारतीय विद्रोही सैनिक मारे गए और इतने ही सैनिक घायल हुए। यह विद्रोह केवल एक दिन तक चला था लेकिन इसे ब्रिटिश सेना के खिलाफ सबसे भयानक विद्रोह में से एक माना जाता है।