आपातकाल के दौरान पूरा देश मुश्किल घड़ी से गुजर रहा था, और उसके उपर से संजय गांधी ने जोर-शोर से नसबंदी अभियान चलाया था, इस पर जोर इतना ज्यादा था कि कई जगह पुलिस द्वारा गांवों को घेरने और फिर पुरुषों को जबरन खींचकर उनकी नसबंदी करने की भी खबरें आईं जानकारों के मुताबिक संजय गांधी के इस अभियान में करीब 62 लाख लोगों की नसबंदी हुई थी।

लेकिन आपको बता दे इस अभियान के दौरान बहुत से लोगो ने अपने जान गवा दी थी, कहा जाता है गलत ऑपरेशनों से करीब दो हजार लोगों की मौत भी हुई। 1933 में इस कानून के पीछे हिटलर की सोच यह थी कि आनुवंशिक बीमारियां अगली पीढ़ी में नहीं जाएंगी तो जर्मनी इंसान की सबसे बेहतर नस्ल वाला देश बन जाएगा जो बीमारियों से मुक्त होगी।

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लेकिन संजय गांधी के सिर पर नसबंदी का ऐसा जुनून क्यों सवार हो गया था कि वे इस मामले में हिटलर से भी 15 गुना आगे निकल गए? बात करे इस अभियान की तो संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए इसे लागु किया था। लेकिन जल्द से जल्द नतीजे चाहने वाले संजय गांधी की अगुवाई में यह अभियान ऐसे चला कि देश भर में लोग नाराज हो गए। माना जाता है कि संजय गांधी के नसबंदी कार्यक्रम से उपजी नाराजगी की 1977 में इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर करने में सबसे अहम भूमिका रही।

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