इंटरनेट डेस्क। देश में नशे का प्रचलन यूँ ही बढ़ता रहा तो भारत को नशेड़ी देश बनते देर नहीं लगेगा। आज नशे ने पंजाब को जलाया है कल समूचा देश धूं-धूं कर जलेगा। पंजाब और नशे का रिश्ता काफी पुराना और गहरा है। पंजाब नशीले पदार्थों के मामले में देश में पहले नंबर पर आता है। अब तो पंजाब में नशा अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। नशे की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए पंजाब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ड्रग तस्करों को फांसी की सजा देने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा है।

यदि केन्द्र इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो प्रदेश में नशे का धंधा करने वालों पर कड़ी नकेल कसी जा सकती है। नशे के कारण पिछले एक महीने के दौरान करीब दो दर्जन युवाओं की मौत से दहले पंजाब में इस मुद्दे पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। पंजाब सरकार ने यह भी कहा है की वह अपने तीन लाख कर्मचारियों का डोप टेस्ट करेगी। इससे साफ जाहिर होता है की पंजाब नशे के सागर में पूरी तरह डूब चूका है। सरकार ने यह भी फैसला किया है सरकारी कर्मचारी जब नियुक्त किए जाएंगे तब डोप टेस्ट होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंजाब में मादक पदार्थ माफिया, पुलिस अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का बड़ा गठजोड़ है। इसी गठजोड़ ने हरे भरे पंजाब को मौत की दहलीज तक पहुंचा दिया है। यह भी सच है कि नशे में एक नहीं अपितु अनेक दुर्गुण है।

इन दुर्गुणों के कारण भला चंगा व्यक्ति अपनी सुध बुध खोकर जघन्य अपराधों में लिप्त हो गया है। छेड़छाड़ ,बलात्कार और लूट जैसे गंभीर अपराध भी नशे के कारण ही समाज और देश को बर्बाद करने पर तुले है। आज पंजाब जल रहा है और कल पूरा देश इसके चपेट में आने से कोई भी नहीं रोक पायेगा। नशा एक ऐसी बुराई हैं जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देता हैं। नशे की लत से पीडि़त व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता हैं। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीडि़त हैं। हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है। मुँह, गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है।

नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन.शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं हैं। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता हैं, और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता जीरो हो जाती हैं, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता हैं। धूम्रपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता हैं। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता हैं। तम्बाकू के सेवन से तपेदिक, निमोनिया, साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती हैं।

एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है। जिन परिवारों के पास रोटी-कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह-शाम के खाने के लाले पड़े हुए हैं उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर फूंक डालते हैं। इन लोगों को अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चे भूख से तडफ़ रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। ये लोग कहते हैं वे गम को भुलाने के लिए नशे का सेवन करते हैं। उनका यह तर्क कितना बेमानी है जब यह देखा जाता है कि उनका परिवार भूखे ही सो रहा है। देश में नशाखोरी में युवावर्ग सर्वाधिक शामिल है।

मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाब, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। आजादी के बाद देश में शराब की खपत 60 से 80 गुना अधिक बढ़ी है। यह भी सच है कि शराब की बिक्री से सरकार को एक बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है। मगर इस प्रकार की आय से हमारा सामाजिक ढांचा क्षत-विक्षत हो रहा है और परिवार के परिवार खत्म होते जा रहे हैं। हम विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में शराब बंदी के लिए कई बार आंदोलन हुआ, मगर सामाजिक, राजनीतिक चेतना के अभाव में इसे सफलता नहीं मिली। सरकार को राजस्व प्राप्ति का यह मोह त्यागना होगा तभी समाज और देश मजबूत होगा और हम इस आसुरी प्रवृत्ति के सेवन से दूर होंगे।

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