पंजाब में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस हर तरह से संभल -संभल कर चल रही है इसकी कई बड़ी वजह है हाल ही में सत्ता का उलटफेर करते कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाना और नवजोत सिंह सिद्धू से सुलह करनाइन सब बातो से आगे अब पार्टी हाईकमान अभी से आगे बढ़कर जीत की रणनीति पर पूरा फोकस रखना चाहता है।

पंजाब में वही हाल की घटनाओं से मालूम चलता है कि कांग्रेस के अंदर प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू का कद लगातार बढ़ता जा रहा है उनकी लगभग सभी मांगों के आगे मुख्यमंत्री भी पूरी तरह से झुकती नजर आए हैं इतना ही नहीं सिद्धू विधानसभा चुनाव के प्रचार में खुद को सीएम फेस के लिए मजबूती के साथ पेश कर रहे हैं दरअसल सिद्धू ने पिछले कई महीनों से बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स के मामले में एफआइआर दर्ज करवाने को लेकर मुहिम छेड़ी थी यहां तक कि बिक्रम मजीठिया ने भी चेन्नी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल की धमकी दी थी आखिर में सिद्धू की हठ के आगे बेबस नजर आए और सरकार को बिक्रम मजीठिया के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करनी पड़ी।

सिद्धू ने सितंबर में चेन्नई सरकार की बड़े ओहदेदार नियुक्तियों के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया था और साफ कर दिया था कि वह पद छोड़ देंगे लेकिन उसूलों से कोई समझौता नहीं करेंगे आखिरकार कांग्रेस को सिद्धू की बात माननी पड़ी और वापिस इस्तीफा लेना पड़ा बल्कि चन्नी सरकार ने सिद्धू की मांग को स्वीकार की और एडवोकेट जनरल डीजीपी को बदल दिया यह दोनों पद सिद्धू की पसंद के लोगों को दिए गए।

अब नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया है कि विक्रम मजीठिया पर एफ आई आर दर्ज होने के बाद मेरे इस्तीफे की पेशकश से न्याय हो गया है इसके अलावा लगातार सिद्धू अपने पंजाब मॉडल का मुद्दा उठा रहे हैं वे सार्वजनिक मंच पर आकर चेन्नी सरकार के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं इसके बावजूद उन पर पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है ऐसे में साफ दिखता है कि सिद्धू सीएम के चेहरे के लिए मजबूती के साथ अपना दावा ठोक रहे हैं और सीएम चन्नी इस रेस में लगातार पिछड़ रहे हैं।

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