राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही एक उम्मीद जगी थी कि लोकसभा 2019 के मद्देनजर यूपी में होने वाले महागठबंधन में उसकी दावेदारी मजबूत होगी। लेकिन अब कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है। बता दें कि यूपी में सपा और बसपा के गठबंधन में कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सपा-बसपा गठबंधन में सीटों का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है। बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्म दिन पर सपा-बसपा गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो सकता है।

बसपा सूत्रों के अनुसार, सपा-बसपा के बीच होने वाले गठबंधन और सीटों का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है। इस फॉर्मूले के तहत अमेठी और रायबरेली में सपा-बसपा अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी। जबकि अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल को महज 2 या 3 सीटें ही मिल सकती हैं। कैराना, मुजफ्फरनगर और बागपत संसदीय सीटें चौधरी अजीत सिंह के हिस्से में आएंगी।

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने 80 लोकसभा सीटें खुद के लिए तय कर ली है। फॉर्मूला के तहत 37 सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी तथा 38 सीटों पर बसपा चुनावी मैदान में ताल ठोकेगी। इस परिस्थिति में राष्ट्रीय लोक दल के हिस्से में महज 2 सीटें ही आएंगी। इस सियासी फॉर्मूले को लेकर सपा और बसपा के शीर्ष नेताओं में आम सहमति भी बन चुकी है।

गौरतलब है कि सपा और बसपा यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के मूड में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को यूपी में अकेले ही चुनाव लड़ना पड़ सकता है। चूंकि बसपा प्रत्येक वर्ष मायावती के जन्मदिन पर एक ब्लू बुक जारी करती है, ऐसे में इसी दिन सपा-बसपा गठबंधन का ऐलान संभव है।

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