मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष में ममता बनर्जी को कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का समर्थन भले ही मिल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल की सभी सीटों पर उनकी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस और वाम दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में यह बात जाहिर हो चुकी है कि लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष का महागठबंधन इतना आसान नहीं होगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि मोदी सरकार के विरूद्ध धरने पर बैठकर ममता बनर्जी टीएमसी को भाजपा केे खिलाफ सबसे ताकतवर पार्टी के रूप में दिखाना चाहती थीं, ताकि राज्य के 30 फीसदी अल्पसंख्यक कांग्रेस अथवा वाम दलों के खेमे में न चलें जाएं।

इस प्रकार पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामदलों का यह सियासी विरोध ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री बनने के सपने को धूमिल करता दिख रहा है। बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने कुल 293 सीटों में से 211 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसलिए इस बार वाम दलों और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

लोकसभा चुनाव 2014 में बंगाल की 42 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस को 34 सीटें, कांग्रेस को 4, माकपा को 2 और भाजपा को 2 सीटें नसीब हुई थी। तब भी सभी दल अलग-अलग लड़े थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस और वामदल एक दूसरे के सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेंगे। शेष 36 सीटों पर वाम दल और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

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