दक्षिण भारतीय राज्यों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को 10 फीसद आरक्षण देने के फैसले का समर्थन करने खिलाफ बढ़ते राजनीतिक विरोध के बाद कांग्रेस में यह बदलाव आया है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश का यह बयान इसका संकेत है जिसमें उन्होंने कहा है कि बेशक पार्टी सभी वर्गों के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण के पक्ष में है, मगर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने अपने फैसले में अलग-अलग अनेक मुद्दे उठाए हैं जिनका पार्टी विस्तार से अध्ययन कर रही है।

रुख बदलने के लिए पार्टी ने शुरू की समीक्षा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दक्षिणी राज्यों में बढ़े विवाद के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा शुरू कर दी है। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं और वकील पी चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी से सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़े कानूनी जटिलताओं पर खरगे ने शुक्रवार को लंबी चर्चा की। इन दोनों नेताओं को पार्टी के कानूनी विकल्प की राह सुझाने का जिम्मा सौंपा गया है।


पुनर्विचार याचिका के विकल्प का सहारा ले सकती है पार्टी
गरीबों के आरक्षण से जुड़े निर्णय के राजनीतिक और कानूनी पहलुओं का आकलन करने के बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करने के विकल्प पर अंतिम फैसला लेगी। पुनर्विचार याचिका के विकल्प से इन्कार नहीं करने का साफ संकेत देते हुए पार्टी के जानकार सूत्रों ने साफ कहा कि कांग्रेस के लिए दक्षिण के राज्य भी सियासी रूप से अहम हैं और हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले की राजनीतिक समीक्षा कर रहे हैं और इसके कानूनी परिणाम सामने आ सकते हैं।

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