देश के सियासी गलियारे में बसपा सुप्रीमो मायावती निर्णय लेने की अडिग क्षमता और अपने तेज तर्रार स्वभाव को लेकर जानी जाती हैं। 15 जनवरी को सुश्री मायावती का जन्मदिन है। कठोर दिखने वाली मायावती अंदर से कितनी ममतामयी औ दयालु हैं, उनसे जुड़ा एक किस्सा हम आपको बताने जा रहे हैं। कांशीराम के संपर्क में आने के बाद मायावती ने अपना सियासी सफरनामा शुरू किया था। स्कूल की नौकरी छोड़कर मायावती ने बसपा के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी।

14 अप्रैल 1984 को बसपा के गठन के बाद मायावती 1984 में कैराना, 1985 में बिजनौर तथा 1987 में हरिद्वार से बसपा की लोकसभा उम्मीदवार बनीं। लेकिन इन तीनों चुनावों में मायावती को हार का सामना करना पड़ा। 1989 के आम चुनाव में मायावती ने बिजनौर से पहली बार जीत का स्वाद चखा। लेकिन 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव के कारण मायावती को अपनी सीट गंवानी पड़ी। इसके बाद कांशीराम ने मायावती को बहुजन समाज पार्टी का महासचिव नियुक्त कर दिया।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि मायावती के जीवन से भी एक काला अध्याय जुड़ा हुआ है। जी हां, यह घटना गेस्ट हाउस कांड के नाम से जानी जाती है। यह मायावती के जीवन का सबसे बुरा और भयानक दिन था। जानकारी के लिए बता दें कि लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में मायावती ठहरी हुई थीं। कुछ लोग मायावती के कमरे घुस गए और कमरा बंद कर लिया। अजय बोस की किताब बहिन जी के मुताबिक, गेस्ट हाउस के उस कमरे में उन आपराधिक तत्वों ने मायावती को पीटा तथा उनके कपड़े तक फाड़ दिए।

इस घटना के दौरान मायावती के साथी भी उनका संग छोड़कर भाग गए थे, लेकिन फर्रुखाबाद से भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने अपनी जान पर खेलकर मायावती की जान बचाई। इस घटना के बाद ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद मायावती फूट-फूटकर रोईं। मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के बारे में एक बार कहा था कि जब मैं मुसीबत में थी तब बसपा के लोग ही मुझे छोड़कर भाग गए थे। जबकि ब्रह्मद्त्त भाई ने अपनी जान की परवाह किए बिना मेरी जिंदगी बचाई।

बसपा की वरिष्ठ नेता होने के बावजूद मायावती फर्रुखाबाद से ब्रह्मदत्त द्विवेदी के लिए प्रचार करती थीं। ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद फर्रुखाबाद जब उनकी पत्नी चुनाव लड़ीं, तब मायावती ने बसपा से प्रत्याशी नहीं उतारा तथा अपनी पार्टी के लोगों से उनका समर्थन करने की अपील की। मायावती ने अपील करते हुए कहा था कि मेरे भाई की विधवा को वोट दें।

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