साल 1917 में जब महात्मा गांधी ने बिहार में चंपारण सत्याग्रह किया था, तब अंग्रेजी सरकार घुटने टेकने पर मजबूर हो गई। बता दें कि अंग्रेज बिहार में किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करा रहे थे। मतलब साफ था, ब्रिटीश सरकार किसानों से कम कीमत पर नील की खेती करवाती थी, और अधिक दाम पर यहां से माल ले जाकर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेच देती थी। इस प्रकार नील की खेती से अंग्रेजी सरकार मोटा मुनाफा कमा रही थी। इसलिए महात्मा गांधी किसानों के साथ हो रहे अत्याचार का विरोध करने के लिए बिहार गए थे।

अग्रेंज इस बात को अच्छी तरह से जानते थे, कि यह वहीं गांधी है जिसने दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा के दम पर भारतीय लोगों को उनका अधिकार दिलवाकर वापस लौटा है। इस प्रकार जैसे ही महात्मा गांधी चंपारण पहुंचे, अंग्रेजों ने उन्हें तुरंत वापस जाने का फरमान सुना दिया।

लेकिन गांधी जी ने मजिस्ट्रेट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया, तब ब्रिटीश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। देखते ही देखते चंपारण में महात्मा गांधी के पीछे लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा। भीड़ अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध बगावत के मूड में आ चुकी थी।

उन दिनों अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को जेल में मौत देने की साजिश रची। अंग्रेजों ने यह प्लान किया कि दूध अथवा खाने में जहर मिलाकर रात में ही गांधी जी को दे दिया जाए। लेकिन अचानक रसोइए ने अंग्रेजों का यह षडयंत्र गांधी जी को पहले ही बता दिया।

Related News