मोदी सरकार का एक अत्यंत नवीन प्रकल्प है, बंजर खेतों में बिजली उगाने की योजना। इस प्रकल्प से सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है। मोदी सरकार अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की अपनी परिकल्पना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके लिये सरकार किसानों के खेतों में बिजली उगाने की योजना पर काम कर रही है।


मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिये उनकी बंजर और कम उपज देने वाली जमीन का सही उपयोग करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को उनकी बंजर या कम उपज देने वाली जमीन का उपयोग करके पैसे कमाने का विकल्प देगी। किसान ऐसी जमीन को सोलर प्लांट लगाने के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं और इस तरह आपको खेतों में लगे सोलर पैनल के जरिये बिजली की पैदावार देखने को मिलेगी।

केन्द्र सरकार के नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो 1 मेगावॉट सोलर बिजली पैदा करने के लिये, सोलर प्लांट लगाने को कम से कम 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। 1 मेगावॉट के सोलर प्लांट से एक वर्ष में लगभग 11 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। ऐसे में यदि किसी किसान के पास एक एकड़ जमीन भी ऐसी है, जो बंजर पड़ी हो या अपेक्षाकृत कम उपज देती है, तो ऐसे किसान अपनी जमीन सोलर प्लांट लगाने के लिये किराये पर दे सकते हैं। एक एकड़ जमीन में 0.20 मेगावॉट का प्लांट लगाया जा सकता है। इस प्लांट से वर्ष के दौरान लगभग 2.2 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी। सरकार की कुसुम योजना के तहत जो भी डेवलपर्स किसान की जमीन पर सोलर प्लांट लगाएगा, वह किसान को प्रति यूनिट 30 पैसा किराया देगा। इस हिसाब से किसान को हर महीने लगभग 6,600 रुपये और वार्षिक लगभग 80,000 रुपये की आमदनी होगी, वह भी बंजर जमीन से या ऐसी जमीन से जिस पर पैदावार कम होती है।

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