पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर कश्‍मीर को लेकर भाजपा ने फिर तंज कसा है। पार्टी ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी जवाहरलाल नेहरू की ‘गलतियों’ को ठीक किया और इसके लिए कांग्रेस से माफी की मांग की।

कार्रवाई में देरी समेत पांच बड़ी गलतियां कीं
कश्‍मीर के विलय की 75 वीं वर्षगांठ पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल ने कश्‍मीर के राजा हरि सिंह के विलय प्रस्ताव पर कार्रवाई में देरी समेत पांच बड़ी गलतियां कीं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की इस बड़ी गलती की कीमत देश को चुकानी पड़ी, जबकि इसने पाकिस्तान को इस क्षेत्र (गुलाम कश्मीर) के एक हिस्से पर कब्जा करने की अनुमति दी।

जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष प्रावधान देने की भाजपा ने निंदा की
भाजपा नेता ने जनमत संग्रह के विचार को आगे बढ़ाने के लिए भी जवाहर लाल नेहरू की की निंदा की। इस दौरान उन्‍होंने दावा किया कि स्वतंत्रता अधिनियम में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था, जिसके तहत सैकड़ों रियासतों का भारत में विलय हुआ था। गौरव भाटिया ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर (अब एक केंद्र शासित प्रदेश) को भी विशेष प्रावधान दिए गए और देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। यह दावा करते हुए कि जबरन लागू किए गए इन उपायों को लेकर तत्कालीन गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल नेहरू खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू और कश्मीर को अन्य रियासतों की तरह देश में मिला दिया जाता, तो शायद देश को 'जिहादी आतंकवाद' नहीं झेलना पड़ता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन गलतियों को सुधार लिया है। उनका मजबूत नेतृत्व अब दुनिया को रास्ता दिखा रहा है।


कश्‍मीर को लेकर नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को दी प्राथमिकता

गौरव भाटिया ने नेहरू के बयान का हवाला देते हुए कहा कि राजा हरि सिंह ने पहली बार कश्‍मीर को लेकर जुलाई 1947 में विचार रखा था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देश की उपेक्षा करते हुए अपने दोस्त शेख अब्दुल्ला के हितों को प्राथमिकता दी। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर समय पर कार्रवाई की जाती तो पाकिस्तान के कब्जे में कश्‍मीर का कोई हिस्सा नहीं होता, तब से कांग्रेस ने देश के सामने झूठ फैलाया और इस मुद्दे के बारे में असली सच्चाई को दबा दिया। उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने तब संयुक्त राष्ट्र में इसे एक 'आंतरिक मुद्दे' के तौर पर उठाया, जिससे इस मामले में पाकिस्तान एक पार्टी बन गया।

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