कर्पूरी ठाकुर का जन्म 4 जनवरी, 1924 को बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (अब कर्पूरीग्राम) में हुआ था। वह एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक तथा विरोधी दल के नेता बने रहे। जानकारी के लिए बता दें कि 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वह बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे।

कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनका कुल कार्यकाल रहा महज ढाई साल। इन्हीं ढाई वर्षों में कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के समाज पर जो छाप छोड़ी, उसका दूसरा उदाहरण नहीं दिखता है। कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।

कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ओबीसी को आरक्षण देने वाला पहला राज्य बना था बिहार। बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम के आगे जननायक की उपाधि जुड़ी। उनका नाम देश के महान समाजवादी नेताओं की पांत में आता है।

यह बात उन दिनों की है, जब 1952 में कर्पूरी ठाकुर पहली बार विधायक बने थे। उन दिनों आस्ट्रिया जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल में उनका चयन किया गया था। उनके पास कोट तक नहीं था। इसलिए एक दोस्त से कोट मांगा गया, संयोग से वह भी फटा हुआ था।

कर्पूरी ठाकुर वही फटा हुआ कोट पहनकर आस्ट्रिया चले गए। वहां यूगोस्लाविया के चीफ मार्शल टीटो ने देखा कि कर्पूरी जी का कोट फटा हुआ है, तो उन्हे नया कोट गिफ़्ट किया गया। गौरतलब है कि आज की तारीख में हिंदुस्तान के कई शीर्ष राजनेता अपने महंगे कपड़ों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं। इस प्रकार ऐसे किस्से थोड़े अविश्वसनीय ही लग सकते हैं।

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