ब्रिटीश हुकूमत की लाठियों से घायल यह भारतरत्न जीवनभर पीठ दर्द से पीड़ित रहा
इंटरनेट डेस्क। 10 सितम्बर, 1887 में जन्मे गोविंद वल्लभ पंत की माता का नाम गोविंदी और पिता का नाम मनोरथ पंत था। पंत ने 1905 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 1909 में लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण कर वकालत करने लगे। गोविंद वल्लभ पंत को पहली बार मुकदमे की सुनवाई के बाद 5 रूपए फीस मिली थी।
स्वतंत्रता सेनानी, एक आदर्श राजनेता और यूपी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में इस महान शख्स को याद करते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। आजादी के दौरान गोविंद वल्लभ पंत अपने कानूनी ज्ञान से अंग्रेजी हुकूमत के नाम में दम कर रखा था।
बात 1928 की है जब वह लखनऊ में आजादी के दीवानों के साथ साइमन कमीशन का विरोध कर रहे थे। उन दिनों पूरे देश में साइमन विरोधी लहर व्याप्त थी। विरोध-प्रदर्शन के दौरान अंग्रेज सैनिकों की लाठियों से गोविंद वल्लभ पंत बुरी तरह घायल हो गए थे। जिसके चलते वह जिंदगीभर पीठ दर्द से कराहते रहे।
राजनीति के माहिर पंत जी 1946 से लेकर 1954 तक यूपी के मुख्यमंत्री बने रहे। जमींदारी उन्मूलन कानून, हिंदू विवाह कानून आदि को लेकर यह महानायक हमेशा मुखर रहा। 1957 में गणतन्त्र दिवस पर प्रशासक, सफल वक्ता और महान देशभक्त गोविंद वल्लभ पंत को भारत रत्न से नवाजा गया। गोविंद बल्लभ पंत का निधन 7 मार्च 1961 में हुआ।