पश्चिम बंगाल की सत्ता संभालने वाली तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का राजनीतिक जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने 70 के दशक में कांग्रेस के छात्र संगठन छात्र परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। कहा जाता है, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह कालीघाट में अपने उसी पुराने मकान में रहती हैं। इस घर तक जाने वाली सड़क और घर का दरवाजा भी बेहद संकरा है।

जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद ममता को यह कभी पसंद नहीं आया कि उनके लिए दूसरे नेताओं की तरह सड़कें खाली करा दी जाएं और आम लोगों को परेशानी हो। ममता को फुर्सत के समय खाना पकाना, किताबें पढऩा और चित्र बनाना पसंद है।

वैसे आपको बता दे कि ममता दीदी का नाश्ता हमसे सबसे अलग है, वे नाश्ते में मुरमुरे और चाय पीना पसंद करती हैं। यहाँ तक कि घर में आए मेहमान को भी वो मुरमुरे और चाय से स्वागत करती है।

दोपहर में हल्का-फुल्का खाना पसंद करती हैं, खान-पान को लेकर वह सेलेक्टिव हैं,ममता जी को तला और ज्यादा तीखा खाना पसंद नहीं है। कभी-कभार डीप फ्राइड पोटैटो फिटर्स खाती हैं जिसे बांग्ला में अलुर चॉप बोला जाता है। यह उनकी फेवरेट डिश है।

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