- आर्थिक अपराध न्यायालय के बाद न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश ने भी खारिज की जमानत
- महज 10 पैसे कमीशन पर दिखाया था करोड़ों का कारोबार
- 277 करोड़ 05 लाख 75 हजार 306 रुपए के फर्जी बिल जारी करने का है आरोप
- दिल्ली निवासी आरोपी पंकज अग्रवाल पुत्र हरिप्रकाश अग्रवाल है आरोपी
- डीजीजीआई की जयपुर क्षेत्रीय इकाई ने किया गिरफ्तार
- जयपुर सेंट्रल जेल में 2 माह से बंद है आरोपी

जयपुर। बोगस फर्मों और बिना माल की आपूर्ति के जारी फर्जी बिलों से जीएसटी कानून में मिलने वाली इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के आरोपी की जमानत याचिका को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश क्रम-1 जयपुर महानगर-2 ने भी खारिज कर दी है। इससे पूर्व अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट आर्थिक अपराध, जयपुर भी आरोपी की जमानत खारिज कर चुका है। जीएसटी फर्जीवाड़े के आरोपी दिल्ली के विजय नगर निवासी पंकज अग्रवाल पुत्र हरिप्रकाश अग्रवाल को दो माह पूर्व माल व सेवा कर आसूचना महानिदेशालय-डीजीजीआई की जयपुर क्षेत्रीय इकाई ने गिरफ्तार कर आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया, जहां उसे 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश हुए। इसके बाद आरोपी पंकज अग्रवाल को जयपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहां वह अभी भी बंद है।

अदालत में पेश दस्तावेज के अनुसार आरोपी पंकज अग्रवाल जीएसटी फर्जीवाड़े को मूर्तरूप देने के लिए दलाल के रूप में सक्रिय था। वह फर्जी फर्म संचालकों के लिए आरटीजीएस को नकदी में बदलने के लिए महज 10 पैसे कमीशन पर कार्य कर रहा था। डीजीजीआई जांच में पता लगा कि जीएसटी फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों को बैंक में राशि और नकदी की जरूरत पड़ती तो वे पंकज अग्रवाल से सम्पर्क करते और वह एक अन्य आरोपी आशुतोष गर्ग की फर्जी कम्पनियों अथवा फर्मों की ओर से जारी फर्मों के लिए आरटीजीएस और नकदी प्रबंधन का कार्य करता था। आशुतोष गर्ग को डीजीजीआई ने 294 बोगस फर्मों के माध्यम से 1032 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किया है और उसी ने पंकज अग्रवाल और एक अन्य सहयोगी अनिल गर्ग को 70-80 बोगस फर्में 5-5 लाख रुपए में बेचने की जानकारी दी थी।

जांच के दौरान डीजीजीआई ने आरोपी पंकज अग्रवाल के मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में डाटा जुटाया जिससे अग्रवाल के जीएसटी फर्जीवाड़े के एक बड़े गिरोह का संचालन किए जाने की जानकारी मिली। जांच में विभिन्न बैंकों की 183 चेक बुक, विभिन्न फर्मों की 312 रबड़ स्टाम्प, 73 आधार कार्ड, 71 पैन कार्ड के अलावा अन्य दस्तावेज व फर्जीवाड़े का हिसाब भी मिला। पता लगा है कि पंकज अग्रवाल 10-10 हजार रुपए में दस्तावेज जुटा कर फर्जी फर्में बनाने में भी लिप्त रहा है। जांच में अधिकारियों ने 72 फर्जी फर्मों के माध्यम से 277 करोड़ 05 लाख 75 हजार 306 रुपए के फर्जी बिल जारी किए जाने की जानकारी भी जुटाई है।

अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी के अधिवक्ताओं ने पंकज अग्रवाल की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कहा कि डीजीजीआई को उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है। आरोपी गत 2 माह से जेल में है बंद है। उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं, इस आधार पर अदालत से जमानत दिए जाने का आग्रह किया। उधर, जमानत याचिका का विरोध करते हुए डीजीजीआई के विशिष्ट लोक अभियोजक आर.एन. यादव ने बताया कि पंकज अग्रवाल के यहां हुई अब तक हुई जांच में 72 फर्जी फर्मों के माध्यम से 277 करोड़ से अधिक के फर्जी बिल जारी किए जाना प्रमाणित हो चुका है। उन्होंने कहा कि पंकज अग्रवाल के सहयोगी आशुतोष गर्ग पर 294 बोगस फर्मों से 1032 करोड़ के फर्जीवाड़े का आरोप है। गर्ग ने ही पंकज अग्रवाल और अनिल गर्ग को 5-5 लाख में 70-80 फर्जी फर्में बेची। जिनसे इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। यदि आरोपी को जमानत मिलती है तो वह तथ्यों से छेड़छाड़ कर सकता है। उपलब्ध तथ्यों और दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश क्रम-1 जयपुर महानगर-2 के न्यायाधीश बी.एल. चंदेल ने जमानत याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया।

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