विपक्षी नेताओं में यह बात प्रचलित थी कि अटल बिहारी वाजपेयी आदमी तो अच्छे हैं, मगर गलत पार्टी में हैं। यह बात यह समझने के लिए काफी है कि लोगों से उनके वैचारिक मतभेद जरूर रहे होंगे, लेकिन मनभेद तो क​त्तई नहीं।

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी हर पार्टी के नेताओं, सांसदों से खुलकर बातचीत करते थे। वह किसी भी नेता से कोई भी बात कहने में कोई हिचक नहीं थी। अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर एक ऐसा ही रोचक किस्सा प्रणब मुखर्जी ने सुनाया था, जब वो राष्ट्रपति थे।

प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी एक काबिल नेता थे। विपक्षी नेताओं के लिए उनके मन में सम्मान था। वह जब भी हमसे मिलते, उनका व्यवहार आत्मीयता से भरा होता था। शायद यही वजह रहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एनडीए जैसे बड़े गठबंधन को 6 साल तक चलाने में कामयाब रहे।

प्रणब दा कहते हैं कि यह उन दिनों की बात है, जब मैं विपक्ष में था और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। दरअसल मुझे संसद में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के खिलाफ बोलना था। अटल बिहारी वाजपेयी को यह बात मालूम थी। इसलिए वह मेरे पास आए और बोले- प्रणब, आज जॉर्ज पर ज्यादा सख्त न होना, उनकी ​तबियत ठीक नहीं है वह और ज्यादा बीमार हो जाएंगे।

प्रणब मुखर्जी कहते हैं कि मैं चौंक गया। मैंने उनसे कहा कि पीएम साहब, यह बात आप किसी दूसरे व्यक्ति को भेजकर मुझ तक पहुंचा सकते थे। या फिर मैं ही आपके पास आ जाता। तब अटल जी ने जवाब दिया था- अरे ये तो छोटी सी बात है। हम सब साथी ही तो हैं, इसमें क्या बड़ी बात है। उन्होंने दोबारा कहा कि जॉर्ज की आलोचना करते वक्त आज ज्यादा क्रूर मत होना।

वैसे तो जॉर्ज बहुत मजबूत हैं, लेकिन उनकी तबियत आज कुछ ठीक नहीं है। सख्त आलोचना उनकी तबियत ज्यादा बिगाड़ सकती है। प्रणब मुखर्जी के मुताबिक, उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी का ये व्यवहार बहुत अच्छा लगा कि कैसे उन्हें अपने एक साथी की चिंता है। मैंने भी अटल जी की बात का मान रखा और जॉर्ज पर सियासी हमला नहीं किया।

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