केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार, 7 अप्रैल को कहा कि विभिन्न राज्यों के भारतीय लोगों को एक-दूसरे के साथ हिंदी में संवाद करना चाहिए, न कि अंग्रेजी में। संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने कहा कि जब विभिन्न राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो "यह भारत की भाषा में होना चाहिए"।


उन्होंने कहा- “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है, और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा। अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए। जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए।”

उन्होंने कहा- केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ने कहा कि "हिंदी को स्थानीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाते, तब तक इसका प्रचार नहीं किया जाएगा। अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए।"

गृह मंत्री ने आगे नौवीं कक्षा तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 22,000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है, जबकि क्षेत्र के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर में स्थित सभी आठ राज्यों ने एमएचए के अनुसार, कक्षा 10 तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति व्यक्त की है।

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