अमेरिका की जगुआर कंपनी ने कहा था-आपको कुछ आता ही नहीं है, रतन टाटा ने लिया था यह निर्णय
कहते हैं कि शरीर पर लगे जख्म तो समय के साथ भर जाते हैं, लेकिन दिल पर लगे घाव ज्यादा दर्द देते हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं। दोस्तों, आपको बता दें कि रतन टाटा जैसे अमीर शख्स ने भी अपनी जिंदगी में आर्थिक परेशानियां झेली हैं।
रतन टाटा को सात साल की उम्र से ही पैसा, शोहरत और नाम विरासत में मिले हैं। यह बात उन दिनों की है जब लगातार घाटे में जा रही टाटा ग्रुप ऑफ कंपनी के नए कारोबार को रतन टाटा ने बेचने का निर्णय लिया। इसके लिए वह अपने नए ग्रुप की गाड़ी फोर्ड के कारोबार को बचने के लिए अमेरिकी कंपनी जगुआर के पास गए। लेकिन वहां रतन टाटा को जगुआर कंपनी से कड़वे शब्दों का अपमान झेलना पड़ा।
साल 1999 में अमेरिका में फोर्ड के अधिकारियों के साथ मौजूद रतन टाटा के सामने जगुआर कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि जब आपको कुछ आता ही नहीं है, फिर आपने कार बनाने के कारोबार में कदम ही क्यों रखा? जगुआर के इन शब्दों से रतन टाटा के दिल पर इतनी गहरी चोट लगी कि उन्होंने 9 घंटे के हवाई सफर में यह निर्णय कर लिया कि वह अब अपनी कंपनी कत्तई नहीं बेचेंगे।
सच कहते हैं कि जिद के आगे कभी-कभी भगवान भी झुक जाते हैं। रतन टाटा को जिंदगी का इतना बड़ा सबक मिला कि साल 2008 आते-आते उन्होंने अमेरिका के प्रमुख ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर जगुआर कंपनी पर बड़ा एहसान किया। जुगआर कंपनी को घड़ी की सुईयों ने खुद ही आईना दिखा दिया।