कांग्रेस छोड़ने के बाद अमरिंदर सिंह को मिले थे महज 856 वोट
इंटरनेट डेस्क। कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्म पटियाला के राजघराने में हुआ। इनकी पत्नी प्रेनीत कौर 2009 से 2014 तक केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं। वह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले वह साल 2002 से 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। अमरिंदर सिंह ने लोकसभा चुनाव 2014 में अरूण जेटली को करारी शिकस्त दी थी।
इंडियन मिलिट्री एकेडमी और नेशनल डिफेंस एकेडमी से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 1963 में भारतीय सेना ज्वाइन कर ली, लेकिन साल 1965 के शुरूआत में ही सेना से इस्तीफा दे दिया। लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध शुरू होते ही अमरिंदर सिंह ने दोबारा सेना ज्वाइन कर ली और बतौर कैप्टेन उन्होंने पाकिस्तान की सेना से युद्ध किया।
स्कूली दिनों के दोस्त राजीव गांधी ने अमरिंदर सिंह को कांग्रेस में एंट्री दिलवाई। इस प्रकार 1980 में बतौर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। लेकिन 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
इसके बाद शिरोमणि अकाली दल से चुनाव लड़े और राज्य मंत्री बनाए गए। 1992 में शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा देकर उन्होंने नई पार्टी शिरोमणि अकाली दल (पी) का गठन किया। 1998 के चुनावों में मिली करारी हार के बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (पी) का विलय कांग्रेस पार्टी में कर लिया। 1998 के राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी विधानसभा सीट से अमरिंदर सिंह को महज 856 वोट ही मिले थे। वर्तमान में इनका नाम कांग्रेस के सबसे प्रमुख नेताओं में शुमार किया जाता है।