मानसून सत्र के बाद आम चुनाव के मूड में है मोदी सरकार, ये है बड़ी वजह
इंटरनेट डेस्क। सत्ताधारी एनडीए का कार्यकाल मई 2019 में समाप्त हो रहा है। खबरों के अनुसार, यह मानसून सत्र मोदी सरकार का आखिरी मानसून सत्र साबित होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी सरकार अब 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव भी करा सकती है।
इस महाचुनावी प्रक्रिया में 12 राज्यों को भी शामिल किया जा सकता है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और हरियाणा राज्य सरकार के कार्यकाल के आखिरी साल हैं। जम्मू कश्मीर के हालात देखते हुए साल के अंत में वहां भी चुनाव संपन्न कराए सकते हैं।
विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के पीछे मोदी सरकार का कहना है कि इससे संसाधनों और चुनावी खर्चें की बचत की जा सकती है। लेकिन सच्चाई यह है कि मोदी सरकार विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ संपन्न करवाकर एक तीर से कई निशाने साधना चाह रही है।
गौरतलब है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियां एक जुट होती दिख रही हैं। ममता बनर्जी जैसी नेता वामपंथ को एकजुट करने में लगी हुई हैं। यहां तक कि आखिलेश और मायावती जैसी धुर विरोधी नेता बीजेपी के नाम एक जुट हो चुके हैं। बीजेपी इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि लोकसभा चुनाव कराने में जितनी देरी की जाएगी, उससे विपक्ष को एकजुट होने का उतना ही मौका मिलेगा जो कि सत्ता पक्ष के हित में नहीं है।
यहां कि राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर की आशंका है। राजस्थान में पार्टी भीतरघात, मध्यप्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान को कड़ी टक्कर दे सकती है। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की हालत भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। अगर इन तीन राज्यों में बीजेपी ने बढ़िया प्रदर्शन नहीं किया तो मोदी सरकार को साल 2019 में सरकार बनाने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।