हिंदू धर्म में श्री गणेश को विघ्न विनाशक, ज्ञान और बुद्धि का देवता माना गया है। गणेश जी बुद्दिमान और ऊर्जवान माने जाते हैं। मान्यता है कि गणपति की पूजा करने वाले में भी ये गुण हासिल होते हैं।

गणपति महाराज को भक्तगण मोदक, लड्डू और मालपुए का भोग लगाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में गणेश चतुर्थी को गणपति का जन्म दिन माना गया है। इस विशेष ति​थि को विनायक को मोदक चढ़ता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजह है कि श्रद्धालु गणेश जी को मोदक चढ़ाते हैं।

पुराणों में वर्णित है कि मोदक का अर्थ होता है खुशी। मान्यता है कि श्री गणेश हमेशा खुश रहने वाले और विनोद प्रिय देव हैं। यही वजह है कि गणपति महाराज को मोदक का भोग लगाया जाता है।

गणेश पुराण के मुताबिक, एक बार देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया। इसके बाद जब गणेश जी ने देवी पार्वती से मोदक के गुणों को जाना तो उसे खाने की तीव्र इच्छा हुई। इसके बाद श्री गणेश ने बड़ी चतुराई से उस मोदक को मां पार्वती से प्राप्त कर लिया। इस मोदक को खाकर गणेश जी को अपार संतुष्टि हुई, तब से मोदक विनायक का प्रिय भोजन बन गया।

एक अन्य कथा प्रचलित है कि एक बार गणेश जी और परशुराम में युद्ध चल रहा था, इस युद्ध में विनायक का एक दांत टूट गया था। एक दांत टूटने की वजह से श्री गणेश को कुछ भी खाने में परेशानी होने लगी। इसके बाद उनके लिए मोदक तैयार गया, जिससे कि वह आराम से भोजन कर सकें। मोदक को खाने के बाद गणेश जी का मन और तन दोनों प्रसन्न रहता था, तभी से विनायक का अति​ प्रिय भोजन बन गया मोदक।

बता दें कि मोदक को शुद्ध आटा, घी, मैदा, मावे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। यह भोज्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और संतुष्टिदायक होता है। यही वजह है कि मोदक को अमृततुल्य माना गया है।

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