हिंदू धर्मग्रंथों में मां दुर्गा की सातवीं शक्ति के रूप में कालरात्रि का उल्लेख किया गया है। मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह बिल्कुल काला है। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है, इनका रूप बहुत भयानक है। मां कालरात्रि गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला धारण करती हैं। इनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। इनकी सांसों से ​अग्नि निकलती है। मां कालरात्रि गदहे पर विराजमान रहती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। जबकि दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी मां कालरात्रि अपने भक्तों को हमेशा निडर रहने का आशीर्वाद देती हैं। मां कालरात्रि की बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है।

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, मां कालरात्रि का स्वरूप भले ही भयंकर है, लेकिन यह सदैव फल देने वाली मां हैं। इसीलिए मां कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी है। मां कालरात्रि के आशीर्वाद से जातक पुण्य फल का भागी बनता है।

हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की उपासना से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और नकरात्मक शक्तियां दूर भागने लगती हैं। कहा जाता है कि मां कालरात्रि के स्मरण मात्र से ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं तथा जातक हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।

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