मंगल पांडे से लेकर भगत सिंह तक इन चार जाबांजो ने इस तरह लड़ी थी आजादी की कठिन लड़ाई
देश को कई वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहना पड़ा था और कई तरह के जुल्म भी सहने पड़े थे और देश को आजादी दिलाने के लिए लोगों ने कठिन मेहनत भी की थी। जब भी देश की आजादी की बात आती है तो कुछ लोगों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। आज हम आपको ऐसे 4 लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके कारण ही हमारा देश आजाद हो पाया था।
महात्मा गांधी
आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने देश को आजाद कराने में कठिन परिश्रम किया था। 1930 में गांधी ने दांडी मार्च सहित सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी। इसके बाद सन 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। इसके बाद लोग ब्रिटिश की हुकूमत का विरोध पर उतर आए। छोटे गांवों और शहरों तक के लोग भी इस आंदोलन में गांधी जी के साथ थे जिसके कारण देश को आजादी मिली।
भगत सिंह
जब आजादी की बात आती है तो भगत सिंह को कोई नहीं भूल सकता है। देश को आजादी दिलाने के लिए वे 23 साल की छोटी सी उम्र में फांसी के फंदे पर झूल गए थे। उसके बाद देश में एक ऐसी ज्वाला फुट पड़ी की वो आजादी मिलने के बाद ही शांत हुई। सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने और अंग्रेज अफसर जॉन सैंडर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह को फांसी हुई थी। उनके शहीद होने के बाद हजारों की संख्या में युवा देश को आजादी दिलाने की इस जंग में शामिल हो गए।
सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। उन्होंने भगत सिंह को फांसी की सजा से रिहा कराने की बहुत कोशिश की और उन्होंने इस मुद्दे पर गांधी जी से भी बात की और कहा कि उन्हें रिहाई के मुद्दे पर किया गया समझौता अंग्रेजों से तोड़ देना चाहिए। इस समझौते के तहत जेल से भारतीय कैदियों के लिए रिहाई मांगी गई थी। लेकिन गांधी जी अंग्रेजों से किए गए समझौते को तोड़ने को जरा भी तैयार नहीं हुए और इसके चलते भगत सिंह को फांसी दे दी गई। गांधी जी के इस फैसले से सभी उनसे बहुत नाखुश थे और उनका विरोध करने लग। सुभाष चंद्र बोस लगातार अंग्रेज़ों का विरोध करते थे इसलिए उन्हें अपने घर में नजरबंद कर दिया गया लेकिन वे किसी मगर वो देश से जैसे तैसे कर के निकल गए और आजादी की जंग लड़ने के लिए उन्होंने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया था।
मंगल पांडे
देश को आजादी दिलाने की कोशिश में मंगल पांडे एक हीरो थे उन्होंने ही सबसे पहली कोशिश की थी। वे 1857 की क्रांति के जनक थे। मंगल पांडे ने जो उस समय विद्रोह किया वो पूरे उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फैल गया था। अंग्रेजी सरकार उनके इस विद्रोह के बाद उनके खिलाफ हो गई थी और उन्हें गद्दार भी घोषित कर दिया गया। मंगल पांडे ने ब्रिटिश कंपनी का नया कारतूस लेने से भी इनकार कर दिया था। इसके बाद 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के लिये जब अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन आगे बढे तो मंगल ने उस पर आक्रमण कर दिया। मदद के लिए मंगल पांडे को अपने साथियों से उम्मीद थी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की इसके बाद उन्होंने अपने दम पर मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया। जिसके बाद उन्हें फांसी हो गई, मगर उनकी क्रांति की ज्वाला ठंडी नहीं हुई।