यमन में फंसे भारतीयों को बचाने वाले भारत के इस ताकतवर युद्धपोत से जुड़ी 7 बातें
आपको बता दें कि यमन में हमारे देश के करीब चार हजार से भी ज्यादा लोग काम करते थे। यमन में गृहयुद्ध जैसी स्थिति के बाद वहां हजारों लोग बेघर और बर्बाद हो गए। उन दिनों अदन की खाड़ी में इंडियन नेवी का युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा गश्त पर था। इस युद्धपोत को ही सबसे पहले यमन के अदन बंदरगाह पर भारतीय नागरिकों की मदद के लिए भेजा गया था। आइए जानें, इंडियन आर्मी के इस जाबाज हीरो से जुड़ी 7 बातें।
1- भारतीय नौसेना के ताकतवर युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा ने 30 मार्च 2015 को यमन में फंसे 350 नागरिकों को सुरक्षित बचाया था। युद्धपोत सुमित्रा के जरिए इन नागरिकों को सबसे पहले जिबुती पहुंचाया गया, इसके बाद इन्हें कोच्चि व मुंबई लाया गया था।
2- आईएनएस सुमित्रा का निर्माण स्वदेशी डिजाइन पर आधारित है। यह भारत का सबसे अग्रणी युद्धपोत है। इसके जरिए तटीय और अपतटीय गश्त, समुद्र सीमा की निगरानी और संचार और अपतटीय संपत्तियों की निगरानी की जाती है।
3- भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में कुल 47 गश्ती जहाज हैं। आईएनएस सुमित्रा गश्ती पोतों में सबसे बड़ा है। इंडियन नेवी में इस तरह के युद्धपोत हैं- आइएनएस सुनयना, आइएनएस सुमेधा और आइएनएस सरयू।
4- आईएनएस सुमित्रा पूर्वी नौसेना कमान के अधीन बंगाल की खाड़ी और पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।
5- आईएनएस सुमित्रा का कुल वजन 2200 टन है। यह मध्य दूरी के हथियारों से युक्त है। इस पर एमएम गन, क्लॉज-इन वेपॅन सिस्टम और कम्यूनिकेशन इंटेलिजेंसी सिस्टम शामिल है। इस पर लाइट वेट हेलिकॉप्टर ध्रुव भी तैनाती हो सकती है। इस युद्धपोत पर नेवी के आठ अफसरों सहित 108 सोल्जर्स मौजूद रहते हैं।
6- आईएनएस सुमित्रा को 4 सितंबर 2014 को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ऑपरेशन राहत के तहत इसने भारतीय नागरिकों को युद्धग्रस्त यमन से बाहर निकाला था।
7- भारतीय नौसेना के बेड़े में आईएनएस सुमित्रा के शामिल होने पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था।