हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं। बता दें कि वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ से संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ। इस स्टोरी में हम आप को बताने जा रहे हैं कि केसरी नंदन मारुती का नाम हनुमान कैसे पड़ा?

यह घटना हनुमान जी के बाल्यकाल की है। एक दिन मारुती जब अपनी निद्रा से जागे तब उन्हें तीव्र भूख लगी। बालक मारुती अपनी मां अंजना के पास जाकर कुछ खाने के लिए हठ करने लगे तो उन्होंने कहा कि वह बगीचे में जाकर कुछ फल खा लें।

उन्होंने पास के एक वृक्ष पर एक लाल रंग का फल देखा, जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। लेकिन मारुती जिसे लाल फल समझ रहे थे, दरअसल वे सूर्यदेव थे। उस दिन अमावस्या थी, इसलिए राहू सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे। इसलिए राहु से पहले ही मारुती ने फल समझकर सूर्य को ही निगल लिया।

तब राहु ने इंद्रदेव से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर भी जब मारुती ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तब उन्होंने वज्र से बालक मारुती पर प्रहार किया। देवराज इंद्र के वज्र प्रहार से मूर्छित होकर मारुती धरती पर गिर पड़े। ऐसा देखकर हनुमान जी के धर्म पिता पवन देव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने प्राण वायु का संचार रोक दिया, जिससे सृष्टि संकट में आ गई।

इंद्र ने पवनदेव को तुरंत मनाया। इसके बाद बालक मारुति को सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां प्रदान की। सूर्य देवता के तेज अंश प्रदान करने के कारण ही हनुमान बुद्धि संपन्न हुए। चूंकि देवराज इंद्र का वज्र मारुति के हनु पर लगा था, जिसके कारण ही उनका नाम हनुमान पड़ गया।

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