भारत थलसेना के ऐसे 6 अध्यक्ष जिन्हे मिल चूका है देश का दूसरा बड़ा सम्मान पद्म विभूषण
पद्म विभूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा उच्च नागरिक सम्मान है, जो सैनिक देश की सुरक्षा के लिए योगदान देते हैं उन्हें ये सम्मान मिलता है। भारत के राष्ट्रपति ये सम्मान देते हैं। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में हुई थी। ये सम्मान दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा सम्मान है। पद्म विभूषण सम्मान किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए दिया जाता है।
भारतीय सेना के इन अधिकारियों को मिल चुका हैं पद्म विभूषण सम्मान:
के एस थिमैया: कोडन्डेरा सुबैया थिमैया 08 मई 1957 से 07 मई 1961 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। उन्हें प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म विभूषण से 1954 में सम्मानित किया गया। ये कर्नाटक राज्य से हैं।
जयंत नाथ चौधरी: जयंत नाथ चौधरी 20 नवम्बर 1962 से 7 जून 1966 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। उन्हें प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका हैं।
परमशिव प्रभाकर कुमारमंगलम: परमशिव प्रभाकर कुमारमंगलम 8 जून 1966 से 7 जून 1969 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। उन्हें प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका हैं।
सैम मानेकशॉ (जनरल): सैम मानेकशॉ 8 जून 1969 से 31 दिसम्बर 1972 तक भारतीय सेना के अध्यक्ष थे। इनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था। इन्हें 1968 में पद्मभूषण से नवाजा गया।
सैम मानेकशॉ (फील्ड मार्शल): सैम मानेकशॉ एक बार फिर 1 जनवरी 1973 से 15 जनवरी 1973 तक भारतीय सेना के अध्यक्ष बने।
अरुण श्रीधर वैद्य: अरुण श्रीधर वैद्य 1 अगस्त 1983 से 31 जनवरी 1985 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। वर्ष 1986 में पुणे में हरजिंदर और सुखदेव ने जनरल वैद्य की हत्या कर दी थी। वर्ष 1992 में दोनों हत्यारों को फांसी की सजा दी गई। उन्हें पद्मभूषण से नवाजा जा चुका हैं।