आपको जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सिर्फ छठे और सातवें चरण की वोटिंग होनी बाकी है। इन दो चरणों की वोटिंग में सबकी निगाहें यूपी पर टिकी हुई हैं। जहां भाजपा की ओर से सियासी प्रहार किए जा रहे हैं कि विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है, वहीं सपा-बसपा गठबंधन यह बताने में जुटी हुई है कि विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार इसी गठबंधन से हो सकता है।

अभी हाल में ही एक चुनावी जनसभा में बसपा प्रमुख मायावती ने इस बात के संकेत दिए कि यदि सब कुछ अच्छा रहा तो लोकसभा चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री भी बन सकती हैं। मायावती के इस बयान के दो दिन बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर पक्की मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि मैं भी मायावती को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहता हूं।

अंग्रेजी अखबार मुंबई मिरर से रूबरू होते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि गठबंधन होने के पश्चात मुझे उन्हें जानने का काफी मौका मिला। मैंने उनमें काफी अच्छाईयां देखी हैं। वह काफी अनुशासित हैं और मुझसे अनुभवी भी हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि उनके और हमारे बीच में एक जेनरेशन गैप है, मुझे उन्हें प्रधानमंत्री बनते देख बहुत खुशी होगी। इसके लिए मैं पूरी मेहनत करने को तैयार हूं। वह भी मुझे यूपी का मुख्यमंत्री देखने के लिए तैयार हैं।

इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष पर सियासी निशाने साधती रही है कि मोदी नहीं तो कौन? विपक्ष भी इसी बात पर पिछड़ता नजर आ रहा था। लेकिन चुनाव के पांच चरण पूरे होने के बाद मायावती ने खुले तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है।

जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं। इस बार सपा-बसपा और रालोद एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस गठबंधन से सपा-बसपा को बड़ा फायदा हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो ये दोनों पार्टियां किंगमेकर की भूमिका निभा सकती हैं। हांलाकि विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के कई दावेदार हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे चेहरे हैं जिन पर विपक्षी दल सहमत हो सकते हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती की दावेदारी इसलिए भी प्रबल है, क्योंकि वह अनुभवी नेता होने के साथ-साथ दलित भी हैं। ऐसे में मायावती को भी यह उम्मीद है कि जब परिस्थितियां बनेंगी तो उनका समर्थन करने के लिए विपक्षी पार्टियां तैयार हो सकती हैं।

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