महाकाव्य महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियों में से एक जाम्बवती थीं। श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र का नाम सांब था। महाभारत कथा के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण पुत्र सांब और दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे।

दुर्योधन के पुत्र का नाम लक्ष्मण था और पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। दुर्योधन अपनी पुत्री का विवाह श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से नहीं करना चाहता था। इसलिए एक दिन सांब ने लक्ष्मणा से प्रेम विवाह कर लिया और लक्ष्मणा को अपने रथ में बैठाकर द्वारिका ले जाने लगा। जब कौरवों को यह बात पता चली तो कौरव अपनी पूरी सेना लेकर सांब को कैद करने आ पहुंचे।

युद्ध के दौरान कौरवों ने सांब को बंदी ​बना लिया। जब श्रीकृष्ण और बलराम को इस बात की जानकारी मिली, तब बलराम हस्तिनापुर पहुंच गए। बलराम ने कौरवों से नम्रतापूर्वक कहा कि सांब को कैद से रिहा कर दें तथा उसे लक्ष्मणा के साथ विदा कर दें। लेकिन कौरवों ने बलराम की बात अनसुनी कर दी।

ऐसे में बलराम का क्रोध जाग्रत हो गया और उन्होंने अपना रौद्र रूप प्रकट कर दिया। बलराम अपने हल से ही हस्तिनापुर की संपूर्ण धरती को खींचकर गंगा में डुबोने चल पड़े। ऐसा देख कौरव भयभीत हो गए और उन्होंने बलराम से माफी मांगी। इसके बाद सांब के साथ लक्ष्मणा की विदाई कर दी। बाद में द्वारिका में सांब और लक्ष्मणा का विवाह वैदिक रीति से संपन्न हुआ।

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