मक्का में गुरु नानक देव का चमत्कार देख भावुक हो गए थे मुस्लिम, पढ़ें यह रोचक खबर
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्मदिन हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। उनके अनुयायी उन्हें नानक शाह, नानक देव जी, बाबा नानक और गुरु नानक आदि कई नामों से पुकारते हैं। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के तौर पर जाना जाता है।
बता दें कि गुरु नानक देव से जुड़ी कई हैरान कर देने वाली कथाए हैं। इस स्टोरी में हम आपको उनकी ऐसी ही रोचक कथा के बारे मेें बताने जा रहे हैं। गुरु नानक देव के पिता का नाम कल्याणचंद जी और मां का नाम तृप्ता देवी था। गुरु नानक देव का जन्म रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा की रात को हुआ था।
गुरु नानक जी का मन बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था। सांसारिक मोहमाया से बिल्कुल दूर वे ध्यान और सत्संग में अपना समय बिताते थे। बचपन में भी उनके साथ कई बार ऐसी घटनाएं हुईं, जिसे देखने के बाद गांव के लोग नानक देव को दिव्य शक्ति मानने लगे। नानक देव ने भारत भ्रमण करने के अलावा कई देशों की यात्रा की और अपने ज्ञान से सभी को प्रकाशित किया।
इसी क्रम में एक बार गुरु नानक देव मुसलमानों के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का पहुंच गए। बता दें कि मक्का में मौजूद काबा को मुस्लिमों के खुदा का घर माना जाता है। इसलिए काबा के दर्शन करना हर मुस्लिम की इच्छा होती है।
बता दें कि गुरु नानक देव के साथ कुछ मुस्लिम साथी भी आए हुए थे, सभी थके हुए थे। सूर्यास्त होने वाला था। ऐसे में सभी के साथ नानक देव भी सो गए। इतने में एक मुस्लिम तीर्थ यात्री ने देखा कि गुरु नानक काबा की ओर पैर रखकर सो गए है। ऐसे में उस मुस्लिम तीर्थयात्री को बहुत गुस्सा आया। उसने नानक देव से कहा- तू कौन काफिर है, जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोया है। इस पर नानक देव जी ने कहा कि मैं यहां पूरे दिन सफर करने के बाद थककर लेटा हूं। मुझे नहीं मालूम खुदा का घर किधर है। तू मेरे पैर उधर कर दे, जिधर तेरे खुदा का घर ना हो। इसके बाद गुस्साए उस मुस्लिम तीर्थयात्री ने नानक देव के पैर पकड़ कर दूसरी दिशा में कर दिए।
कहा जाता है कि जब उसने पलट कर देखा तो काबा भी उसी दिशा में जा चुका था, जिस दिशा में नानक देव के पैर घुमाए थे। ऐसा देख वह मुस्लिम तीर्थयात्री चकित रह गया। उसने यह बात अपने हाजी और अन्य मुसलमान भाईयों को बताई और अपने इस कृत्य के लिए क्षमा मांगी।