27 फरवरी कोभारतीय सेना का Mi-17 दुर्घटना ग्रस्त हुआ था जो कि इंडियन एयर फोर्स ने खुद ने गलती से किया था। इसकी जांच 20 दिनों में पूरी होगी। इसके सभी एविडेंस इक्क्ठा होने के बाद पेश किए जाएंगे। जो हेलीकॉप्टर इंडियन एयरफोर्स ने मार गिराया उसमे 6 जवान शहीद हुए थे। वायु सेना अधिनियम 1950 के अनुसार उन पर इरादतन हत्या का मामला चलाया जा सकता है। भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार 27 फरवरी को श्रीनगर में जो इजरायल निर्मित स्पाइडर और सतह से हवा में मार करने वाली उसमे कोई संदेह नहीं था लेकिन इस पूरी जांच में इसलिए समय लगा है क्योकिं इस हमले में वायु सेना को दोषी माना जा रहा है। इस पूरी घटना में 12 सेकंड लगे और इस दौरान Mi हेलीकॉप्टर को जानकारी नहीं थी कि वो हमले के दायरे में है। 27 फरवरी की सुबह 10 से 10.30 के बीच 8 भारतीय वायुसेना के जवान, F-16 के 24 पाकिस्तानी वायुसेना के जवानों को संभाल रहे थे। F-16 ने LoC पार कर लिया था और वह भारतीय सेना पर निशाना साध रहा था।

पश्चिम में इसके बाद एयर फोर्स को अलर्ट जारी कर दिया था और सेना पूरी तरह से पाकिस्तान के हमले का जवाब देने के लिए तैयार थी। इसी समय श्रीनगर एयरपोर्ट पर एयर डिफेंस की रडार ने एक विमान देखा जो कम उड़ान पर था। उस समय टर्मिनल वीपन डायरेक्टर(TWD) के पद पर एक सीनियर अधिकारी थे जो एयर बेस के भी चीफ ऑपरेशन अधिकारी थे।

इसलिए ये बात हो सकती है कि IAF ट्रांसपोडर सिस्टम को पहचान नहीं पाया हो और उस अधिकारी ने फायर करने का आदेश दे दिया हो। इस डिवाइस का इस्तेमाल विमान को पहचानने के लिए किया जाता है और ये बताता है कि विमान हमारा है या दुश्मन का। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि यह साफ नहीं है कि आईएएफ के हेलिकॉप्टर्स में आईएएफ स्विच ऑफ था और जब इस विमान को गिराया गया, तब यह काम नहीं कर रहा था।

हालांकि सीनियर वायुसेना के अधिकारी ने उन रिपोर्ट को खारिज किया है। वीडियो में दिख रहा है कि मिसाइल हेलिकॉप्टर की तरफ जा रही है और यह सबूतों का वह हिस्सा है जिसे पेश किया गया है। 'ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि कोई कैमरा वहां इस रेंज तक प्रभाव डालने के लिए मौजूद था।'

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