राहुल गांधी के पांच सिपहसालार, जिन पर टिकी है 2019 में कांग्रेस की हार-जीत!
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव 2014 शर्मनाक नतीजे लेकर आया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस पार्टी कभी भी दहाई अंक में नहीं सिमटी थी। यहां तक कि आपातकाल के बाद भी नहीं, जब पूरे देश की हिंदी भाषी इलाके इंदिरा गांधी के खिलाफ थे। उन दिनों भी कांग्रेस करीब 189 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन साल 2014 के मोदी लहर में कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट कर रह गई।
इतना ही नहीं कांग्रेस को एक के बाद एक राज्यों में अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। हांलाकि साल 2017 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस दोबारा पटरी पर लौटती दिखाई दी। लिहाजा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर से लड़ाई में दिख रही है।
इस स्टोरी में हम आपको उन पांच चेहरों के बारे में बताने जा रहें, जिनकी बदौलत कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी सियासी जंग लड़ेगी।
1- प्रियंका गांधी
यह बात सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव पर नियुक्त करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। बता दें कि प्रियंका गांधी ने सार्वजनिक तौर पर भले ही कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है, लेकिन कांग्रेस में उनकी सक्रियता पिछले कई वर्षों से है।
राहुल गांधी से उलट उनकी छवि सख्त प्रशासक की है। जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के चुनाव कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गया था, उस वक्त प्रियंका गांधी ने इस मामले को निपटाने में अहम भूमिका निभाई थी। लोकसभा चुनाव 2014 में प्रियंका गांधी ने रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार किया था। प्रियंका गांधी बड़ी रैलियों के बजाय डोर टू डोर प्रचार करने में ज्यादा भरोसा रखती है। कहा जा रहा है कि यूपी में उनकी सियासी दखल के चलते सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा की पेरशानी कुछ हद बढ़ चुकी है।
2- अशोक गहलोत
अशोक गहलोत मौजूदा समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं। बता दें कि गहलोत को राजस्थान की राजनीति का जादूगर कहा जाता है। वे अपने विरोधियों को किनारे लगाने में माहिर माने जाते हैं। पत्रकार राशिद किदवई के मुताबिक, अशोक गहलोत कांग्रेस के उन दुर्लभ नेताओं में से एक हैं, जिन्हें जमीन की समझ और दरबार की राजनीति में महारत हासिल है।
अशोक गहलोत सोनिया गांधी के करीबी माने जाते हैं। साल 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में अपने बेहतरीन चुनाव मैनेजमेंट की बदौलत अशोक गहलोत राहुल गांधी की नज़रों में चढ़े और उन्हें कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2014 में राजस्थान में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था, लेकिन 2019 में उन पर अपने गृह राज्य से कांग्रेस को सम्मानजनक सीट दिलवाने का अतिरिक्त दबाव रहेगा।
3- अहमद पटेल
राजीव गांधी के जमाने से ही अहमद पटेल कांग्रेस के प्रमुख सिपहसालारों में से एक रहे हैं, उनकी यह छवि आज तक कायम है। अहमद पटेल को सोनिया गांधी का दाहिना हाथ माना जाता है। अहमद पटेल दशकों से कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकारों में से एक रहे हैं। जिस प्रकार से मध्य प्रदेश में कमलनाथ, राजस्थान में अशोक गहलोत, महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण, कर्नाटक में डीके शिवकुमार कांग्रेस के वफादार साथी हैं, ठीक उसी प्रकार अहमद पटेल चुनाव मैनेज करने में महारत रखते हैं। कहा जाता है कि अहमद पटेल की घुसपैठ भारत के सभी राजनीतिक दलों में है।
4- केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल का सियासी ग्राफ पिछले चार साल में तेजी से चढ़ा है। बैकरूम मैनेजमेंट में उनका पुराना अनुभव है। केसी वेणगोपाल के पास कर्नाटक का प्रभार भी है। कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन का श्रेय वेणुगोपाल को ही दिया जाता है। तमिलनाडु में द्रमुक नेता एमके स्टालिन के साथ गठबंधन तथा एनसीपी के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने में वेणुगोपाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5- रणदीप सिंह सुरजेवाला
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपना पहला चुनाव 1993 में ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ लड़ा था। सुरजेवाला दो बार ओम प्रकाश चौटाला को चुनाव में पराजित कर चुके हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई कर चुके रणदीप सिंह सुरजेवाला की गिनती कांग्रेस के धारदार प्रवक्ताओं में होती है। सुरजेवाला मीडिया मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ी हैं। गौरतलब है कि अभी हाल में हुए जींद उपचुनाव में सुरजेवाला को हार का सामना करना पड़ा था, हांलाकि इससे उनकी सियासी साख पर बट्टा जरूर लगा है।