कारगिल युद्ध का जाबाज हीरो, जो हजारों पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ा था अकेला
कारगिल युद्ध सन 1999 में हुआ था। इस युद्ध में कई जाबांजो ने अपने जज्बे और हिम्मत के दम पर कई ऐसे कारनामे किए जिनके कारण उन्हें आज भी दुनिया भर में याद किया जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अकेले पाकिस्तान की पूरी बटालियन को मिट्टी में मिला दिया था।
भारतीय सेना के बड़े-बड़े अफसर थे चिंतित –
भारतीय सेना के लिए तब बहुत बड़ी चिंता का विषय यह था कि कैसे 15 हजार फुट की उंचाई पर टोलोलिंग की पहाड़ियों पर कब्जा किया जाये। क्योकिं इसके लिए भारतीय सेना 3 बार प्रयास कर चुकी थी और तीनों बार उनके हाथ असफलता ही लगी। यहाँ पहुंचना भारत के लिए जरूरी था क्योकिं ऊपर बैठी पाक सेना भारत के लिए सिरदर्दी बन रही थी।
तब राजपुताना रायफल की हुई एक मीटिंग –
2 जून 1999 को आर्मी जनरल वीपी मालिक ने एक मीटिंग बुलाई और कहा कि किसी भी कीमत पर टोलोलिंग की पहाड़ियों को दुश्मनों से वापस लेना है। सेना के 59 सिपाहियों की जान इस मिशन में जा चुकी थी। जब राजपुताना रायफल सेना के प्रमुख से पूछा गया तो उनके पास भी कोई प्लान नहीं था और सभी अफसर और कमांडों निराश हो गये थे।
कारगिल युद्ध का हीरो
कमांडों में सबसे पीछे बैठा एक जवान दिग्रेन्द्र कुमार खड़ा होता है और वह अपना प्लान सबके सामने लाने की सिफारिश करता है। उसने बताया कि हम उसी तरफ से जाएंगे जिस तरफ दुश्मन मुँह कर के बैठे हैं और दुश्मन की पीठ पर नहीं छाती पर ही वार करेंगे।
तब जनरल ने बोला कि ऐसे तो हम मारे जायेंगे? तो कमांडों दिगेंद्र ने बोला कि साहब- मौत तो वैसे भी आनी ही है और आप चिंता न करें- मैं भारत की इस जमीन से दुश्मनों का खात्मा करके ही दम लूँगा।
तो तब शुरू हुई थी कार्यवाही –
फिर जब हिंदुस्तान की सेना ने हमला किया तो पाक ऊंचाई से सेना पर हमला कर रहा था। इस युद्ध में कमांडों दिगेंद्र के भी कुल 5 गोली लग चुकी थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि अकेले ही दुश्मनों के 11 बंकरों के ऊपर इस जवान ने 18 ग्रेनेड से हमला किया तो पाकिस्तान की हालत वाकई में खराब हो गई।
अकेले एक जवान को पाक सेना हजारों की सेना समझ रही थी। इसके बाद पाकिस्तान के कई सैनिक वहां से भाग खड़े हुए और इसके बाद कुछ ही देर में टोलोलिंग की पहाड़ी पर भारत का झन्डा लहरा दिया गया था।
महावीर चक्र प्राप्त यह भारतीय वीर सैनिक इस मिशन में बच जाता है और अकेले के दम पर इस सैनिक ने पूरी पाकिस्तानी सेना को मिट्टी में मिला दिया था।