जब कोई जाबांज सैनिक अपनी बहादुरी और शौर्य का प्रदर्शन करता है, तब उसे सेना मैडल से नवाजती है। इस मैडल के साथ आप कई सैनिकों को देख सकते हैं।

लेकिन क्या आपको पता है सेना के ये मैडल असली नहीं नकली होते हैं। जी हां, साल 2008 से रक्षा मंत्रालय ने सेना के जवानों के लिए असली मैडल मुहैया नहीं करवाए हैं। इसलिए सैनिक नकली मैडल पहन कर ही घूमते हैं।

समाचारपत्र द हिंदू के अनुसार, साल 2008 से डिफेंस मिनिस्ट्री के एक खास विभाग ने एक भी मैडल नहीं दिया है। अब डिफेंस मिनिस्ट्री को टोटल 14.5 लाख मैडल जारी करने हैं। इसलिए अधिकारी और जवान नकली मैडल पहन कर ही घूमते हैं।

असली मैडल पर विजेता सोल्जर नाम और सर्विस नंबर मौजूद होता है। जबकि नकली मैडल पर ऐसा कुछ नहीं होता है। जब सैनिकों ने कई लैटर लिखे तब 2017 में रक्षा मंत्रालय ने असली मैडल जारी करने के लिए एक टेंडर भी पास किया था।

दिल्ली कैंट का गोपीनाथ बाजार इन नकली मैडल्स के लिए पॉपुलर है। यहीं से सैनिक नकली मैडल खरीदते हैं। ये डुप्लीकेट मैडल 50 रूपए से लेकर 200 रूपए में मिलते हैं।

Source: Herald spot

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