धर्म-ग्रंथों का पाठ करने तथा उन्हें सुनने से हमें कई ऐसी बातें पता चलती हैं, जो उसके जीवन में हर दिन काम आने वाली होती हैं। धर्म ग्रंथों की बातें हमें भविष्य की समस्याओं से निपटने का मार्ग दिखाती हैं। इसी क्रम में महाभारत के वनपर्व में वर्णित है कि किसी से दोस्ती करने से पहले हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

श्लोक- येषां त्रीण्यवदातानि विद्या योनिश्च कर्म च। ते सेव्यास्तैः समास्या हि शास्त्रेभ्योपि गरीयसी।।

1- शिक्षा और ज्ञान

महाभारत के मुताबिक किसी से दोस्ती करने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि उस व्यक्ति के ज्ञान का स्तर क्या है? फालतू घूमना, हंसी-ठिठोली करना, दूसरों का मजाक उड़ाना आदि उनका स्वभाव होता है। ऐसे लोगों से जितना दूर रहा जाए, उतना ही अच्छा माना जाता है। अच्छी विद्या या ज्ञान वाला मनुष्य ही अपने दोस्त को गलत राह पर जाने से रोक सकता है।

2- परिजनों की जानकारी

जिस मनुष्य के परिवार में दुष्ट, चोर या पापी प्रवृत्ति के हों, उससे भूलकर भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए। चाहे मनुष्य खुद कितना ही अच्छा हो, लेकिन उसे अपने परिवार की आदतों और कर्मों का परिणाम झेलना ही पड़ता है। जिस तरह गेंहू के साथ घुन भी पिसता है, ठीक उसी तरह विपत्ति आने पर ऐसे व्यक्ति का परिवार उसके साथ-साथ आपके लिए भी मुसीबत का कारण बन सकता है। इसलिए किसी से भी दोस्ती करने से पहले इस बात की जांच जरूर कर लें।

3- आदतें और पेशा

किसी से दोस्ती करने से पहले उसकी आदतें और उसका पेशा यानी काम जानना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी की बुरी आदतों को जाने बिना ही या उन्हें नजरअंदाज करके दोस्ती करने पर कभी ना कभी इनका दुष्परिणाम आपको झेलना ही पड़ेगा। संभव है, उसकी आदतों या कामों की वजह से आपको भी अपमानित होना पड़ जाए। इसलिए, दोस्ती करने से पहले सामने वाले की अच्छी-बुरी आदतों के बारे में जरूर जान लें।

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